सैयद जैनुल ने कहा कि भारत में आजादी के बाद भी कई चुनौतियों का सामना कर उन पर जीत हासिल की है। हमारी कई पीढ़ियों ने धार्मिक विवादों का भी सामना किया है। हमें यह बात समझना होगी की अदालतों के निर्णय में एक पक्ष जीतता है और एक पक्ष हारता है। कही ना कही एक पक्ष निर्णय से असहमति के साथ-साथ अपने दिल में खटास व द्वेषता नहीं समाप्त कर पाता है। दोनों पक्ष, दोनों धर्मों के लोग मथुरा-काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशने की कोशिश करें। उन्होंने सीएएए पर कहा कि बीते कई साल से मुसलमानों को गुमराह किया गया है। सीएएए कानून से भारत के मुसलमानों की नागरिकता छीनने की कोशिश हो रही है। यह किसी की भी भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।
काउंसिल के राष्ट्रीय चेयरमैन हजरत सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि काउंसिल की ओर से पूरे देशभर में संस्था के चेयरमेन प्रदेशभर में दौरा करें। काउंसिल से जुड़ी दरगाहों को लेकर दोनों पक्षों के प्रमुख लोग या संस्थाओं से मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाए। शांति पथ बनाकर दोनों पक्षों के लिए शांति वार्ता के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाए। चिश्ती ने कहा कि भारत से धार्मिक विवादों का अंत कर इस देश की उन्नति में अपना योगदान दें। बाधा बनने वाले हर विवाद को समाप्त कर अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत मुल्क, मोहब्बतों से भरा महान भारत देना ही होगा।
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अजमेर दरगाह दीवान के संदेश और पैगाम के बाद काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव, राज्य प्रभारी डॉ. हबीबुररहमान नियाजी ने सुलह की पहल का समर्थन करते हुए कहा कि सूफी संतों ने हमेशा हर मसले का हल आपसी समझौते से ही किया है और हम सब सूफियों के वंशज हैं। चेयरमैन के मार्गदर्शन को हर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाकर नफरत को हमेशा के लिए खत्म करके अमन—चैन का पैगाम दिया जाएगा। दूसरे पक्ष से बात की जाएगी। दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन के जानशीन सैयद जियाउद्दीन जियाई ने अतिथियों का इस्तकबाल किया। आपसी मोहब्बत और कौमी पैगाम कायम रहे यह सबकी कोशिश है। दरगाह के नायब सज्जादानशीन सैयद अजीजुद्दीन बादशाह मियां ने कहा कि जयपुर का यह पैगाम सकारात्मक माहौल के लिए खास रहेगा। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल की राजस्थान यूनिट की ओर से हुए कार्यक्रम में राजस्थान की लगभग सभी दरगाहों के सज्जादानशीन मौजूद रहे।