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जयपुर

रिश्वत कांड में नया खुलासा: कमिश्नरेट के बड़े अधिकारी, आरएएस का नाम भी आया सामने

बलात्कार के मामले में एफआर लगवाने के लिए रिश्वत लेने की कोशिश का मामला तूल पकड़ रहा है। ट्रेप फेल होने पर एसीबी ने घूस मांगने वाले अति. उपायुक्त राजेन्द्र त्यागी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पड़ताल में अब नया खुलासा हुआ है।

जयपुरJun 01, 2020 / 03:26 pm

Kamlesh Sharma

Additional DCP Rajendra Tyagi bribe case

बलात्कार के मामले में एफआर लगवाने के लिए रिश्वत लेने की कोशिश का मामला तूल पकड़ रहा है। ट्रेप फेल होने पर एसीबी ने घूस मांगने वाले अति. उपायुक्त राजेन्द्र त्यागी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पड़ताल में अब नया खुलासा हुआ है।

ओमप्रकाश शर्मा/जयपुर। बलात्कार के मामले में एफआर लगवाने के लिए रिश्वत लेने की कोशिश का मामला तूल पकड़ रहा है। ट्रेप फेल होने पर एसीबी ने घूस मांगने वाले अति. उपायुक्त राजेन्द्र त्यागी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पड़ताल में अब नया खुलासा हुआ है।
शिकायत के साथ परिवादी ने एसीबी को रिकॉर्डिंग भी पेश की थी, जिसमें कई और अधिकारियों की सक्रिय भूमिका का भी जिक्र है। बड़े अधिकारियों की भूमिका देख एसीबी ने परिवादी से रिकॉर्डिंग का मूल स्रोत (ऑरिजनल रिकॉर्डिंग) मांगा है। यह रिकॉर्डिंग आला पुलिस अधिकारियों में वायरल हो रही है। परिवादी और त्यागी के बीच पेश है बातचीत की रिकॉर्डिंग-
परिवादी और त्यागी के बीच बातचीत के अंश: समझौता कराने के लिए हुई डील

‘इतने बड़े के पास छोटी बात करना हमारे लिए अच्छी बात नहीं’
त्यागी: वह तो (महिला थाने की परिवादी) नाम भी बड़े बड़े लेती है…चक्कर ये पड़ गया उसका। …मैं करता हूं और क्या करूं।
परिवादी: आप ही साहब को समझा सकते हो।
त्यागी: फैक्ट को कोई नहीं मान रहे…..कहते हैं ये आदमी ऐसा है…।
परिवादी:पर मैं तो कभी साहब से नहीं मिला..मैं तो बर्बाद हंू , मेरे पास अब क्या है…।
त्यागी: आप नहीं मिले लेकिन साहब फाइल देखकर ही पकड़ लेते हैं…।
परिवादी: मैंने उसकी (महिला थाने की परिवादी) मदद भी की…एमबीबीएस दाखिले के लिए मैं गया था उनके पास (निजी मेडिकल कॉलेज के संचालक का नाम लिया)।
त्यागी: उनकी भी फाइल है मेरे पास।…अब क्या निहाल करोगे जो बताएं साहब ये हो सकता है…।
परिवादी:आप ही बताओ।
त्यागी: अरे….आपका टैग है, उसे कैसे क्लीयर किया जाए। मैं खुद कुछ कह नहीं सकता…आप बता दो ससम्मान जो मैं उन्हें जाकर कह दूं।…(कुछ बातचीत के बाद) आप खुद ही मिल लो तो बेहतर है, इतने बड़े के पास छोटी बात करना हमारे लिए अच्छी बात नहीं
परिवादी: अजमेर वाला कॉलेज आ जाएगा तो कुछ कर दूंगा
त्यागी: किसी से कहला नहीं सकते क्या…
परिवादी: कहलवा तो दूंगा, लेकिन उसमें भी पैसे खर्च होंगे। (सरकार में पहुंच वाले एक आरएएस अधिकारी का नाम लेकर) उनसे कहला दूं, लेकिन….छोटा-मोटा करना तो पड़ेगा।
त्यागी: वो नहीं कह पाएंगे, इतनी वो नहीं है.. (साहब का पदनाम)…. से बात करना….। देखो मैं तो किसी की आत्मा नहीं दुखाना चाहता….आपको मिलवा दूंगा फिर अपनी मजबूरी बता देना।
परिवादी: एक लाख रुपए दे दूंगा
त्यागी: नहीं मानेंगे, अच्छा नहीं लगेगा।….मिनिमम पांच। पांच में भी साहब को कहेंगे कि इससे ज्यादा तो इनका है नहीं।….नहीं होता है तो आप रहने दो, मैं कहूंगा मामला तो झूठा है…डॉक्टर को आपने समझा होगा शेर अब तो यह गीदड़ भी नहीं है।
‘अंगुली तो आपकी हमारे पास भी है, दबाई नहीं’


त्यागी: कितने कॉलेज खुलवाए आपने।
परिवादी: 156 खुलवाए थे, सभी को मेरा मान रहा था। अब एक भी नहीं रहा।
त्यागी: ( कुछ नाम लेकर ) उनको तो खुलवा दिए आपने।
परिवादी: साहब उनके पास तो मेरी अंगुली दबी थी।
त्यागी: अंगुली तो आपकी हमारे पास भी है, लेकिन हमने दबाई नहीं…। कॉलेज खोलने के लिए क्या करना होता है..।
परिवादी: पहले सोसायटी बनाओ, मैं सब खुलवा दूंगा। मैं कम जगह में भी करवा दूंगा।
त्यागी: यहां जयपुर में … नगर में, आठ सौ गज है..।
परिवादी: हां खुलवा दूंगा, वो रजिस्ट्रार मेेरे नाम का है, मैंने ही लगवाया है… कोई दिक्कत नहीं है।

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