देवी कालरात्रि को भद्रकाली, भैरवी, रुद्राणी, चामुंडा, चंडी, धुमोरना आदि भी कहा जाता है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। उनके सिर के बाल बिखरे हुए हैं और वे गर्दभ यानि गदहा पर सवार रहती हैं। उनकी सांस के साथ आग की लपटें निकलतीं हैं। मां कालरात्रि का एक हाथ वरमुद्रा में और एक हाथ अभयमुद्रा में रहता है। एक अन्य हाथ में लोहे का कांटा तथा दूसरे खड्ग अथवा कटार रहती है।
मां कालरात्रि का रूप भयाक्रांत करता है पर वे बहुत शुभ फल देती हैं। उनके स्मरण भर से राक्षस, भूत, पिशाच या नकारात्मक शक्तियां पलायन कर जाती हैं। माता काली की उपासना से त्वरित और तीक्ष्ण परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार दांपत्य जीवन जीनेवालों को मां काली की आराधना करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए।
इनकी उपासना करनेवालों को बृम्हचर्य व्रत का पालन जरूर करना चाहिए। इनके भक्तों की अकाल मौत नहीं होती और इनकी उपासना से ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। मां काली की उपासना से शनि का प्रकोप भी शांत होता है।
मंत्र और श्लोक
1.
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः
2.
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि।
3.
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
हिंदी भावार्थ – हे मां! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारंबार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूूं।