उग्रवादी संगठनों का गढ़ है डिब्रूगढ़
ULFA (I) जैसे उग्रवादी संगठनों के लिए गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहारों का विरोध करना उनकी रणनीति का हिस्सा रहा है, लेकिन ऐसे समय में मुख्यमंत्री का डिब्रूगढ़ में तिरंगा फहराना न केवल सरकार की ताकत को दिखाता है, बल्कि यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। ऐसे कदमों से क्षेत्रीय एकता और शांति की दिशा में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। यह भी दिलचस्प है कि ULFA का अस्तित्व और उसका संघर्ष एक लंबी और जटिल कहानी है, लेकिन अब असम सरकार इन समस्याओं से निपटने के लिए कई रणनीतियाँ अपना रही है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का यह निर्णय क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को पुनः स्थापित करने के लिए एक मजबूत संदेश है।
अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर असम के सीएम ने कहा कि यह समारोह असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है, इसे “हमारे राज्य में शांति और प्रगति के माहौल का एक बेहतरीन प्रमाण” कहा।
मुख्यमंत्री सरमा डिब्रूगढ़ में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। डिब्रूगढ़ में, सीएम सरमा ने मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में 20 पौधे लगाकर “हरित तरीके” से समारोह की शुरुआत की। उन्होंने पहले लगाए गए पौधों की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली। असम के मुख्यमंत्री ने थाना चरियाली में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की।
-समारोह में अपने संबोधन के दौरान, सीएम सरमा ने नई पहलों पर प्रकाश डाला: -बच्चों के विकास को बढ़ाने के लिए शतरंज को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। -स्टार्टअप का एक नया विभाग स्थापित किया जाएगा।
-असम का लक्ष्य: “आश्रित से योगदानकर्ता राज्य।”
सुरक्षा के किए गए कड़े इंतजाम
गणतंत्र दिवस समारोह के लिए डिब्रूगढ़ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम, खासकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के वहां तिरंगा फहराने के फैसले के बाद, पूरी तरह से समझ में आने वाली बात है। सुरक्षा बलों ने समारोह से पहले ही शहर और इसके आसपास के क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखना शुरू कर दिया था, ताकि किसी भी संभावित खतरों से निपटा जा सके। एसपी वी वी राकेश रेड्डी के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही सक्रिय थीं और हर दृष्टिकोण से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही थीं।