जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की ( Pulwama Attack First Anniversary ) आज पहली बरसी है। इस दिन को याद कर शहीद के परिजनों को अपनों की याद सताती है। जयपुर जिले के गोविन्दपुरा बासड़ी के जवान रोहिताश लाम्बा भी पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इस हमले को एक साल बीत गया, लेकिन परिजनों के जख्म आज भी हरे हैं। पत्रिका संवाददाता शहीद रोहिताश लाम्बा के घर पहुंचे तो उसके माता-पिता शहीद के 14 माह के बेटे ध्रुव के साथ बैठे थे। वहीं, वीरांगना मंजू देवी कमरे में पति की तस्वीर के पास थी। छोटा भाई जितेन्द्र घर के काम में व्यस्त था। पुलवामा का नाम सुनते ही रोहिताश के पिता बाबूलाल लाम्बा, माता घीसी देवी व वीरांगना मंजू की आंखों से आंसू छलक पड़े। पिता बाबूलाल लाम्बा बोले कि बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन आज भी उसकी पल-पल याद आती है। शहीद के पुत्र की तरफ इसारा कर बोले कि अब इसी के सहारे अपना समय काट रहे हैं। शहीद की मां घीसी देवी बोली पोते को देखते हैं तो बेटे रोहिताश के बचपन की यादें जेहन में ताजा हो जाती हैं। सरकारी घोषणाएं पूरी नहीं हुई। नौकरी नहीं दी। स्कूल, पार्क का शहीद के नाम पर नामकरण नहीं किया।
हर पल ऐसा लगता है, जैसे अभी ड्यूटी पर है और घर वापस आ जाएंगे। बेटा ध्रुव ही उनकी निशानी है, उसे पढ़ा लिखा देश सेवा के लिए तैयार करना है।
मंजू देवी, शहीद की पत्नी