मानाराम ने याचिका दायर कर मेहरानगढ़ दुखांतिका के मद्देनजर गठित चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट तथा उसके आधार पर सरकार की ओर से की गई कार्रवाई सार्वजनिक करने की मांग की थी। इस पर गत माह हाइकोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट पर अब तक की गई कार्रवाई का 16 अप्रेल तक विवरण पेश करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए। साथ ही मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए। इससे सरकार में खलबली मची और मुख्य सचिव ने गृह विभाग से जानकारी मांगी। विभाग ने कह दिया कि आयोग की रिपोर्ट तो कैबिनेट सचिवालय में है जबकि कैबिनेट सचिवालय ने मुख्य सचिव को जवाब दिया कि उनके पास ऐसी कोई फाइल नहीं है। चार दिन तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद आखिरकार गृह विभाग से यह फाइल २ दिन पहले कैबिनेट सचिवालय पहुंचाई गई। अब उसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी की जा रही है।
सरकार की ढिलाई के कारण चोपड़ा आयोग जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है। सूत्रों की मानें तो विस्तृत व गहन पड़ताल के बाद तैयार की रिपोर्ट में आयोग ने मेहरानगढ़ हादसे के लिए जिम्मेदारों और कारणों के बारे में बताया है। भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए सिफारिशें भी की हैं। रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर कई पहलुओं से पर्दा हट सकेगा।
मामले में पुलिस ने एक मर्ग दर्ज किया, किसी की कोई अन्य रिपोर्ट नहीं ली। सरकार ने जांच के लिए जस्टिस जसराज चोपड़ा का अयोग बनाया। हादसे के बाद तत्कालीन एसपी-कलक्टर के तबादले किए गए। इसके बाद आयोग की कारवाई लगभग 1500 दिन चली, 222 पीडि़तों और 59 अफसरों के बयान लिए। प्रदेश के सभी मंदिरों का दौरा किया।
– चेतन देवड़ा, संयुक्त सचिव, गृह (आपदा प्रबंधन)