वट सावित्री व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखती है। इस दिन व्रत रखकर महिलाएं सावित्री और सत्यवान की पूजा करती हैं। पश्चिम भारत (Vat Savitri Puja 2024) में यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है जबकि उत्तरी भारत में वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता है।
Vat Savitri Puja 2024: वट पूर्णिमा पर दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश दास ने बताया कि इस बार वट पूर्णिमा के दिन शुभ योग, त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग का संयोग बन रहा है। ग्रह योग के शुभ संयोग में पूजा करने से विवाहिता को पुण्य फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही वट पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग भी बना है। जो शास्त्रीय दृष्टि से इसके महत्व को कई गुना बढ़ा रहा है।
वट सावित्री पूजा का महत्व
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन वट सावित्री व्रत किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार वट पूर्णिमा व्रत से महिलाओं को सौभाग्य मिलता है। अखंड सौभाग्य (Vat Savitri Puja 2024) की प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं इस दिन सूर्योदय से व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा व परिक्रमा करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन सावित्री ने अपने तप और सतित्व की ताकत से मृत्यु के स्वामी भगवान यम को अपने पति सत्यवान के प्राण वापस करने के लिए मजबूर किया, इसलिए सुहागन महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।
Vat Savitri Puja 2024: क्या करें सुहागिन महिलाएं
पंडित दिनेश दास ने बताया कि इस दिन वट वृक्ष के साथ साथ बेल के पेड़ की पूजा करना भी उत्तम फलदायी रहेगा। वट पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठ नक्षत्र होने से सरसों के दाने मिलाकर पानी में स्नान करें। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूरे विधि विधान से वट वृक्ष की पूजा करें। वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए 5, 7, 11, 21, 51 या 108 बार कच्चा सूत लपेटे। इसके बाद जल व हल्दी अर्पित कर विधि विधान से सावित्री और सत्यवान का कथा सुनें।