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हाईकोर्ट ने बस्तर के वर्तमान राजा को विरासत में मिली संपत्ति का स्वाभाविक हकदार माना है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस विमला सिंह कपूर की युगलपीठ ने विरासत में मिली संपत्ति पर वर्तमान राजा को संपत्ति का स्वाभाविक व परंपरानुसार हकदार मानते हुए पूर्व के बंटवारे को अपास्त कर दिया है। साथ ही बेची गई सभी संपत्ति को वापस लेने का निर्देश दिया है।छत्तीसगढ़ की डिजिटल साक्षरता नीति का पालन करेगा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान, पढ़े क्या है खास
बस्तर राजपरिवार से भी कॉलोनी के लोग कर सकते हैं बातचीतशहर के वृंदावन कॉलोनी के रहवासियों की शनिवार को हुई पहली बैठक में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि मामले में बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव से भी एक बार चर्चा की जाएगी। इस दौरान कॉलोनी के लोगों ने कहा कि बस्तर महाराजा से सुप्रीम कोर्ट में मामला दाखिल होने के बाद बातचीत की जाएगी। संभव है कि वही कॉलोनी के लोगों की परेशानी समझें और उसका हल निकालें।
शहर के कानून के जानकारों का कहना है कि मामले में निचली अदालत ने रानी वेदवती के पक्ष और कमलचंद भंजदेव के विपक्ष में फैसला दिया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो निचली अदालत का फैसला बदल गया। अब कमलचंद भंजदेव को ही कोर्ट ने जमीन का असली हकदार माना है। इस शहर में चर्चा होती रही कि रानी वेदवती वाला पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएगा।
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बड़ा फैसला हैहाईकोर्ट के इस फैसले को लेकर पडऩे वाले प्रभाव को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कॉलोनी के प्रभावितों के व्हाट्सएप ग्रुप में कई लोगों ने दावा किया कि किसी भी राजपरिवार की संपत्ति को लेकर पहले कभी किसी विवाद में ऐसा फैसला नहीं आया होगा। पहली बार हो रहा है कि इतने बड़े क्षेत्र में जमीन की बिक्री को रद्द कर दिया गया है। 38 एकड़ क्षेत्र को खाली कराने का आदेश दिया गया है। ऐसा देश में पहली बार हो रहा है। इस फैसले से हजारों लोग और सैकड़ों परिवार प्रभावित हो रहे हैं।
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