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Fraud in the name of KFC franchise: केएफसी की फ्रेंचाइजी लेने के चक्कर में ठेकेदार गंवा बैठा 2.65 लाख रुपए, पहुंच गया थाने सडक़ किनारे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई। बेशकीमती पेड़ों को काटकर सुरेश अपने ठिकानों में डंप करता रहा। पूरा अमला सुरेश के साम्राज्य को खड़ा करने के लिए मेहरबान था, जिसे जो काम मिला उसने पूरी स्वामी भक्ति के साथ काम पूरा किया। सडक़ में डामर को छोड़ बाकी मैटेरियल अवैध था। उस वक्त इस बात की जानकारी उन सभी विभागों को थी जो इस काम से जुड़े हुए थे लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब जबकि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद मामला सामने आया तो पीडब्ल्यूडी विभाग के बाद वन विभाग ने भी जांच बिठा दी है।
भैरमगढ़ के क्रशर प्लांट से सुरेश निकाल रहा था गिट्टी
गंगालूर-नेलसनार सडक़ के लिए
ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने सरकारी भृूमि पर भैरमगढ़ में क्रशर प्लांट डाला था। पत्रिका को प्लांट से जुड़े जो दस्तावेज मिले उसके अनुसार उसे क्रशर के लिए 29 जनवरी 2024 को अनुमति दी गई। अनुमति पत्र पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन के नाम से है। इस अनुमति पत्र में उन सभी शर्तों का जिक्र है जो एक क्रशर प्लांट के लिए होते हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए पौधरोपण से लेकर अन्य भरपाई कार्य लेकिन सुरेश ने ऐसा कुछ नहीं किया और वह सालभर से एक सडक़ के नाम पर बाकी सडक़ों के लिए भी गिट्टी निकाल रहा था। अब यहां बड़ा सवाल यह भी है कि सिर्फ एक सडक़ के नाम पर उसे पूरे क्रशर प्लांट की लीज कैसे दी गई।
जहां तक सडक़ चौड़ी भी नहीं वहां भी काटे पेड़
सडक़ के निर्माण के दौरान जहां सडक़ चौड़ी भी नहीं की गई वहां पर भी बेशकीमती पेड़ों को काटा गया। साल-सागौन जैसे पेड़ों की कटाई की जानकारी सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि काटे गए पेड़ों की लकड़ी अभी भी सुरेश के ठिकानों में मौजूद है।
मुख्य जिला मार्ग के आड़ में सारी सहूलियत लेता रहा सुरेश
बीजापुर जिले में केंद्र के स्पेशल प्रोजेक्ट के तहत तीन सडक़ बन रही हैं, उनमें गंगालूर-नेलसनार सडक़ के अलावा आवापल्ली-जंगरगुंडा, मोदकपाल-तारलागुड़ा की सडक़ है। बताया जाता है कि स्पेशल प्रोजेक्ट की सडक़ होने की वजह से सुरेश को विभाग सारे नियमों को ताक पर रख छूट दे रहे थे। मुख्य जिला मार्ग का काम होने की वजह से भी उसे सारी रियायत मिल रही थी।
पीडब्ल्यूडी कर रहा था काम की निगरानी
विभागीय जानकारी के अनुसार स्पेशल प्रोजेक्ट की सडक़ का काम केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अधीन होता है। इसका रीजनल ऑफिस रायपुर में है। काम पीडब्ल्यूडी की निगरानी में होता है और पीडब्ल्यूडी की फाइनल रिपोर्ट के आधार पर रीजनल ऑफिस भुगतान करता है।
जांच के लिए कमेटी बना दी गई है
सीसीएफ बस्तर वन आरसी दुग्गा ने कह वृत्त पहाड़ी की खुदाई और पेड़ों की कटाई की जानकारी मिलने के बाद जिला स्तर पर बीजापुर डीएफओ के नेतृत्व में जांच दल गठित किया गया है। जांच तेजी से चल रही है जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई तय की जाएगी।