Weather Alert : पाकिस्तान में बन रहा छत्तीसगढ़ के लिए खतरनाक सिस्टम, 15 डिग्री से भी नीचे गिरा पारा… बढ़ेगी कड़ाके की ठंड
सीताक्का के इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी में कई उतार-चढ़ाव हैं। 1988 में नक्सल संगठन में शामिल होने वाली सीताक्का संगठन में नक्सल कमांडर के पद तक पहुंची। इसके बाद 90 के दशक में आंध्र पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में उनके पति और भाई की मौत हो गई। तब 1994 में आत्मसमर्पण कर दिया। सीताक्का ने नक्सली से लेकर वकील, विधायक और अब तेलंगाना की मंत्री बनने का सफर पूरा किया है।इंस्पेक्टर को भी नहीं छोड़ा साइबर ठगों ने… इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर के नाम पर की लाखों की ठगी, FIR दर्ज
1980 से 90 के दशक में तेलंगाना के जंगलों के खाक छानती थीं तेलंगाना की मंत्री बनी डी. अनसूया सीताक्का की जीवन आसान नहीं रहा। कोया जनजाति से आने वाली सीताक्का कम उम्र में ही नक्सल आंदोलन में शामिल हो गई थीं। वह उसी आदिवासी क्षेत्र में एक सक्रिय सशस्त्र गुट का नेतृत्व करने लगीं। कई बार उनकी पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हुई। एक मुठभेड़ में ही अपने पति और भाई को खो दिया। साल 1980 और 1990 की शुरुआत में नक्सल संगठन में रहते हुए जंगलों के खाक छाना करती थीं।