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जगदलपुर

Kharmas 2024: 15 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है खरमास, जानिए क्यों शुभ कार्य हो जाते हैं वर्जित ?

Kharmas 2024: 15 दिसंबर से खरमास यानी मलमास की शुरुआत हो जाएगी। इसे धनुर्मास भी कहते हैं। यह लगने के बाद एक महीने तक मांगलिक कार्य शादी-ब्याह और गृह प्रवेश नहीं करने की परंपरा है।

जगदलपुरDec 12, 2024 / 02:43 pm

Khyati Parihar

Kharmas 2024
Kharmas 2024: आगामी 15 दिसंबर से खरमास प्रारंभ होने जा रहा है। हिन्दू धर्म में खरमास के दौरान किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। खरमास की शुरूआत सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करने पर शुरू होती है। इस बार सूर्य रविवार 15 दिसंबर को 10 बजकर 19 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद सूर्य देव के मकर राशि प्रवेश करने पर खरमास समाप्त होगा यानि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है इस दिन के बाद शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।

क्यों वर्जित है शुभ कार्य

पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास के दौरान सूर्य देव के रथ में घोड़े की जगह खर यानी गधे जुड़ जाते हैं। ऐसे में रथ की गति धीमी हो जाती है, इसलिए इसे खरमास कहा जाता है। शास्त्रों में इस समय को अशुभ फलदायक माना गया है इसलिए खरमास के दौरान कोई भी मंगल कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह, सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि के साथ कोई नया काम या व्यापार शुरू नहीं किया जाता।
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Kharmas 2024: साल में दो बार होता है खरमास

ज्योतिषाचार्य पं दिनेश दास ने बताया कि हिंदू शास्त्र के अनुसार खरमास साल में दो बार लगता है। पहला खरमास संक्रांति जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा खरमास मीन संक्रांति के समय यानी सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने पर लगता है। यह कुल एक महीने का होता है जिसकी वजह से इसे खरमास कहा गया है। इस काल के दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।

खरमास में यह करें

खरमास के दौरान जीवन में आए विपत्तियों को दूर करने भगवान सूर्य की आराधना करनी चाहिए। रोजाना सुबह उठकर सूर्य स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दे और मंत्र जाप करें। खरमास में जप, तप, दान आदि करने से आपके जीवन से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस महीने पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है., ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। खरमास में गाय को हरी घास खिलाएं और मंदिर में दान करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।

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