Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम व गृह मंत्री विजय शर्मा द्वारा नक्सलियों से वर्चुअल वार्ता की बात पर नक्सलियों की तरफ से जवाब आया है। नक्सलियों के डीकेएसजेडसी ( दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल ) कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने सशर्त वार्ता की बात स्वीकार करते हुए कहा है कि वार्ता के लिए वातावरण निर्माण की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
सरकार से वार्ता बेईमानी : नक्सली प्रवक्ता ने कहा है कि इससे पहले इस तरह की वार्ता की पेशकश बेमानी रही है। चाहे वह पहले के मुख्यमंत्री या केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा पेश की गई हो। नक्सली प्रवक्ता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार एक ओर वार्ता का प्रस्ताव देती है और दूसरी ओर जंगलों में हमारे खिलाफ ऑपरेशन तेज हो रहे हैं। आदिवासियों को फोर्स द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप भी नक्सलियों द्वारा लगाया गया है। मालूम हो कि गृहमंत्री ने 16 जनवरी को अपने एक बयान में कहा था कि यदि नक्सली वार्ता करने जंगलों से बाहर नहीं आ सकते तो वो वीडियो कॉल पर भी उनसे बात कर सकते हैं।
थ्रो बैक पिक्चर नवंबर 2004 में हैदराबाद में आंध्रप्रदेश सरकार से वार्ता के लिए जाते हुए नक्सलियों के सेन्ट्रल कमेटी के नेता रामकृष्ण उर्फ आरके उर्फ अक्की राजू हरगोपाल। इस तस्वीर में नक्सली नेता अपने नक्सली सैनिक जो कि पीएलजीए लड़ाके है आरके को सुरक्षा देते हुए ले जा रहे हैं। इस वार्ता में नक्सलियों का नेतृत्व आरके ने ही किया था उसी दौरान उसकी तस्वीर बाहर आई थी। कोरोना काल में आरके की मौत बस्तर के सुकमा जिले के जंगलों में हुई थी।
आंध्रप्रदेश में सफल नहीं रही वार्ता… नक्सलियों से वार्ता के लिए पहले भी कई प्रयास किए गए है लेकिन सफलता नहीं मिली। वर्ष 2004 में आंध्ररप्रदेश के तत्कालीन सीएम वायएसआर रेड्डी की सरकार नें नक्सलियों से पहली बार वार्ता की थी इस दौरान सरकार का नेतृत्व वहां के गृहमंत्री के जेना रेड्डी नें किया था तथा नक्सलियो का नेतृत्व रामकृष्ण उर्फ़ अक्का राजू हर गोपाल नें किया था। इस दौरान वे पहली बार कैमरा क़े सामने उनका फेस आया था इनके अलावा गदर, बारबरा राव तथा कुछ अन्य लोगों की सार्वजनिक पहचान अन्य नक्सली नेता के रूप में हुई थी। लेकिन यह वार्ता बेनतीजा रही। वार्ता की असफलता के बाद से आंध्र प्रदेश में नक्सलियों का सफाया हो गया।
बस्तर में भी हुए थे प्रयास छत्तीसगढ़ गठन के बाद यहां के कई नेताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओ नें वार्ता के द्वारा नक्सल समस्या का समाधान करवाने की कोशिश कर चुके है इनमें ब्रम्हदेव शर्मा,स्वामी अग्निवेश, अरविन्द नेताम, का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है पर उन्हें कोई सफलता नहीं मिली।
इन शर्तों पर बातचीत – नक्सली प्रवक्ता विकल्प ने कहा है कि बस्तर में चल रहे अपने सभी पुलिस ऑपरेशन बंद करे। – 6 महीनों के लिए सभी जवानों को कैंप और थाने में ही रखा जाए। – 6 महीने के दौरान कोई नया पुलिस कैंप भी उनके आधार इलाकों में स्थापित ना किया जाए। – नक्सलियों ने वार्ता से पहले अपने साथियों को रिहा करने की शर्त भी रखी है। – नक्सलियों ने कहा है कि यदि सरकार इन न्यूनतम शर्तों को मानती है तो नक्सल संगठन उनसे सीधी या मोबाइल के जरिए वार्ता को तैयार है।
दंतेवाड़ा-बीजापुर बॉर्डर पर पुलिस-नक्सली मुठभेड़ दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले के बॉर्डर पर शुक्रवार की सुबह पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। 2 घंटे तक चली इस मुठभेड़ के बाद नक्सली भाग निकले। पुलिस का दावा है कि इस मुठभेड़ में कई नक्सली घायल हुए हैं। दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र गमपुर के जंगल में काफी संख्या में नक्सली मौजूद हैं। जिसके बाद ऑपरेशन लॉन्च किया गया। इस मुठभेड़ में कई नक्सली घायल हो गए।