आदिवासी अंचल बस्तर को हर बार रेल बजट में सिर्फ छला जाता है। यहां की आधा दर्जन रेल परियोजनाओं का सर्वे हो चुका है किन्तु उन्हें आगे बढ़ाने ना तो रेलवे बोर्ड गंभीर है और ना ही यहां के जनप्रतिनिधि। जब जब नागरिकों का दबाव बढ़ता है। तब तब रेलवे कोई न कोई झुनझुना पकड़ा देता है। बस्तर का आधा इलाका ईस्ट कोस्ट रेल जोन में तो आधा बिलासपुर रेल जोन के बीच फंस कर रह गया है। चार दशकों से प्रस्तावित दल्ली राजहरा-जगदलपुर रेल मार्ग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी तरह धमतरी-कांकेर-जगदलपुर होते हुए सुकमा जिले के कोंटा तक कुल 372.2 किमी रेल मार्ग का सर्वे 2017 में हो चुका है। तब इसकी लागत 4617.18 करोड़ थी। यह प्रस्ताव रेलवे बोर्ड में जमा है। इसी तरह मलकानगिरी से दंतेवाड़ा रेलमार्ग का सर्वे रेल बजट में प्रस्तावित है पर रेल प्रबन्धन इसे ठंडे बस्ते में डाले हुए है। किरन्दुल – बीजापुर रेल मार्ग का सर्वे हो चुका है वर्ष 2017 में। इसकी लागत 1227.36 करोड़ थी, इसी तरह बीजापुर-सूरजपुर रेलमार्ग का सर्वे पूर्ण हो चुका है। किरन्दुल- मनगुरु का भी सर्वे पूर्ण हो चुका है किंतु बजट के आभाव में यह कार्य भी लंबित है। इसी तरह धमतरी-कांकेर तथा धमतरी -नगरी -माकड़ी रेल मार्ग का सर्वे पूर्ण हो चुका है। यह सभी प्रस्ताव रेलवे बोर्ड में लंबित है। इनकी सुध लेने वाला कोई नही है।
ईस्ट-कोस्ट रेल जोन जिसका मुख्यालय भुवनेश्वर में है इस वर्ष ओडिशा सरकार ने रेल परियोजनाओं के लिए 7600 करोड़ मांगे थे लेकिन केंद्रीय बजट 2022-23 में,जोन को 10 हजार 788 करोड़ का बजट मिला है। जिसमें से लगभग 9,734 करोड़ रुपये का आवंटन ओडिशा राज्य की रेल परियोजनाओं में खर्च होना है। ओडिशा के लिए यह अब तक का सबसे अधिक बजटीय प्रावधान बताया जा रहा है। यह रेलवे के बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सुरक्षा से संबंधित परियोजनाओं के लिए राज्य की मांगों से अधिक है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव ओडिशा कैडर के आईएएस रहे हंै इसलिए वे ओडिशा की रेल परियोजनाओं को लेकर उनकी ज्यादा दिलचस्पी है। अधिकारी ने कहा कि ओडिशा के लिए इस वित्तीय वर्ष का बजट आवंटन पिछले साल के आवंटन से 2,738.5 करोड़ रुपये अधिक है। गत वर्ष ओडिशा का आबंटन 6,995.58 करोड़ रुपये था ।