संभागभर के मरीजों का दबाव झेल रहे मेकाज में परिवारों को कई बार 8-8 घंटे या फिर दूसरे दिन तक पीएम के लिए इंतजार करना पड़ता है। वह भी तब जब जिला अस्पताल शहर में मौजूद है। गौरतलब है कि महारानी अस्पताल में पिछले करीब पांच से पोस्टमार्टम की सुविधा बंद है। इतने दिनों में करीब 4 हजार लोगों को पीएम करवाने के लिए उनके परिजनों को मजबूरी में मेडिकल कॉलेज ले जाना पड़ा। लोगों की इस मुसिबत के लिए कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन असंवेदनशील प्रबबंधन ने इस ओर ध्यान भी नहीं दिया।
जिला प्रशासन ने इस सबंध में कुछ निर्देश भी जारी किये लेकिन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ। यह आलम तब है जब 15 करोड़ की लागत से महारानी को नया स्वरूप दिया गया है। गौरतलब है कि पीएम मेडिकल में ससेंकेंड क्लास ऑफिसर करते हैं। महारानी में लाखों की सेलेरी में पर्याप्त डॉक्टर मौजूद हैं। फिर भी शहरवासियों को भटकना पड़ रहा है।
पांच साल से अव्यवस्था जिले में पीएससी तक में पीएम की सुविधा जिले में पोस्टमार्टम की व्यवस्था पीएससी तक में उपलब्ध है। लेकिन जिला अस्पताल में अब तक यह शुरू नहीं हो पाया है। गांव में डॉक्टर पहुंचकर पीएम कर रहे हैं। लेकिन जिला अस्पताल में अब तक यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। करीब पांच साल में 3300 लोगों का पीएम मेकाज में हुआ। जिसमें ढाई हजार से अधिक लोग जगदलपुर शहर के लोग शामिल हैं। ऐसे में यहां सुविधा नहीं मिलने से लोगों में काफी नाराजगी है। इसे दूर करने प्रशासन नाकाम है।
कलेक्टर के आदेश के बाद कुछ समय शुरू हुआ, फिर ठप हुई व्यवस्था दो साल पहले यह मामला जिला प्रशासन के सामने भी आया था। उन्होंने लोगों की इस परेशानी को गंभीरता से लेते हुए पीएम को जल्द महारानी में शुरू करने के निर्देश दिए थे। लेकिन उनके निर्देश के बाद भी महारानी में सेवा नहीं शुरू हो सकी। हालांकि जिला प्रशासन ने इस सुविधा के शुरू होने को लेकर शायद अलगी बार कोई जानकारी ही नहीं मांगी। इसलिए सेवा शुरू होने की अभी भी दरकार है।
ऐसी अव्यवस्था को दूर करने नहीं हो रहे प्रयास इसी के साथ ही शायद महारानी देश का पहला ऐसा जिला अस्पताल होगा जहां ढाई साल से एक भी पीएम नहीं हुआ है। शहर के करीब तीन लाख आबादी है और हर साल करीब एक हजार लोगों का पीएम यहां हुआ करता था। लेकिन यहां पीएम जैसी सुविधा के लिए महारानी नहीं बल्कि 9 किमी दूर मेडिकल कॉलेज पर निर्भर रहना पड़ता है। दुख की घड़ी मेें लोगों को मेडिकल कॉलेज तक जाना पड़ता है। फिर इसके बाद वापस शहर आकर यहां अंतिम संस्कार की व्यवस्था में जुटते हैं। पहले जहां पीएम की व्यवस्था की गई थी, आज वह जगह ढाई साल से बंद हैं। यहां बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है।
पीएम बंद जैसी बात नहीं है। इसके लिए मेडिकल ऑफिसर की जरूरत होती है। लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से पीएम नहीं हो पा रहा है। यहां शुरू कराने का जल्द प्रयास किया जा रहा है। – आरके चतुर्वेदी, सीएमएचओ, बस्तर