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जगदलपुर

611 साल पुरानी परंपरा तोड़, बगैर राज परिवार के शुरू करवा दिया गया बस्तर दशहरा

पहली बार बिना बस्तर राजा (Bastar KIng) के स्पर्श के बिना ही पाट जात्रा विधान (Path Jatra Vidhan) में चढ़ा दिया गया पूजन सामाग्री (Worship material), इधर बस्तर सांसद, विधायक ने तय समय से पहले ही करा ली पूजा

जगदलपुरAug 02, 2019 / 12:42 pm

Badal Dewangan

Bastar Dussehra

611 साल पुरानी परंपरा तोड़, बगैर राज परिवार के शुरू करवा दिया गया बस्तर दशहरा

जगदलपुर. बस्तर में 75 दिन तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरे में हरियाली अमावस्या के मौके पर रथ निर्माण के लिए पाट जात्रा पूजन का विधान हर साल पूरा किया जाता है। इस साल भी यह विधान पूरा हुआ लेकिन परंपराओं को तोड़ते हुए। बस्तर दशहरा की पंरपरा के अनुसार पाट जात्रा के लिए होने वाली पूजा में बस्तर महाराजा की तरफ से माझी-मुखिया पूजन सामग्री लेकर सिरहासार पहुंचते हैं। पूजन सामग्री महाराजा से स्पर्श करवाने के बाद पूजन स्थल पर लाई जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। बस्तर के महाराजा को जिला प्रशासन ने सुबह 11 बजे माझी-मुखिया के माध्यम से पूजन सामग्री भेजने के लिए कहा था लेकिन राज परिवार की तरफ से भेजी जाने वाली सामग्री के बगैर ही पूजा सुबह 9.30 बजे कर ली गई।

Bastar Dussehra

राज परिवार की परंपरा को तोडऩे का अधिकार किसी को नहीं
पत्रिका से विशेष चर्चा में बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव ने बताया कि बस्तर दशहरे के 611 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि बगैर राज परिवार की सामग्री के पूजा कर ली गई। उन्होंने इसे बस्तर की परंपरा से खिलवाड़ बताया। कहा कि बस्तर के आदिवासियों और राज परिवार की परंपरा को तोडऩे का अधिकार किसी को नहीं है। माई दंतेश्वरी बस्तर की आराध्य हैं। उनके उत्सव की पहली पूजा में ऐसा कृत्य होना गलत है।

माझी-मुखिया हो गए नाराज
बस्तर दशहरा में अधिकांश विधान राज परिवार के माझी-मुखिया करते हैं। इन्हें राज परिवार ने सुबह ११ बजे पूजन का वक्त दिया। सुबह 10.30 बजे सभी जब सिरहासार से होते हुए महाराज के पास पहुंचे तो उन्हें बताया कि महाराज वहां तो पूजा हो चुकी है। यह हमारी परंपरा से खिलवाड़ है। ऐसा कभी नहीं हुआ है। तब राजा ने माझी-मुखिया को शांत करवाया और कहा कि आप लोग तय समय पर जाइए और जैसे हर साल पूजा करते हैं, उसी तरह पूजा करिए तब माझी-मुखिया राजा के आदेश का पालन करते हुए सिरहासार पहुंचे और पहले की गई पूजा की सामग्री हटाकर राजा के द्वारा स्पर्श की गई सामग्री से परंपरा के अनुरूप पूजा की।

इससे पहले मंत्री, सांसद और विधायक पूजा करके जा चुके थे
प्रशासन का समय तय था जिन्होंने पूजा की उन्हें सोचना था माझी मुखिया जब मेरे पास यह जानकारी लेकर आए कि पूजा हो चुकी है तो मैंने कलक्टर से बात की उन्होंने कहा कि आप इस संबंध में तहसीलदार से बात कर लें। तहसीलदार ने कहा कि समय 11 बजे कहा ही है। तब ही पूजा होगी। जबकि प्रशासन के तय समय को भी ताक पर रखकर सुबह 9.30 बजे पूजा कर दी गई।

इस बारे में तो जिन्होंने पूजा की उन्हें सोचना चाहिए
माई दंतेश्वरी से जुड़े विधान के साथ इस तरह का खिलवाड़ किसी के लिए भी उचित नहीं है। कमलचंद भंजदेव, बस्तर महाराजा आगे के कार्यक्रमों में समन्वय बनाएंगे पाट जात्रा पूजन में समन्वय के अभाव के चलते ऐसा कुछ हो गया है। कहां और किस स्तर पर चूक हुई, इसकी हम समीक्षा करेंगे। आगे के कार्यक्रमों में समन्वय के साथ काम किया जाएगा। बस्तर राज परिवार और आदिवासियों की आस्था के साथ किसी भी स्तर पर चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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