वन विभाग को लिखा था पत्र
मझौली क्षेत्र के जनपद सदस्य आशाराम राजपाल ने वन विभाग को पत्र लिखा था। उन्होंने गौरहा के जंगल में सूखते जलस्रोतों के कारण हिरण, चीतल, सांभर के मरने की बात कही थी। वन विभाग से पीने के पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कहा था, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। पानी की तलाश में वनजीव बे मौत मारे जा रहे हैं।
खास-खास
वन परिक्षेत्र सिहोरा (सामान्य) में आती हैं 15 बीटें
चीतल, सांभर, हिरण वन्य प्राणियों की संख्या अधिक
खरगोश, कबरबिज्जू, हिरण, भेडिय़ा भी हैं वन क्षेत्र में
पिपरसरा, ढमढमा, मढ़ई, गिदुरहा, गौरहा में वन्यप्राणी अधिक
वनपरिक्षेत्र सिहोरा के अंतर्गत आने वाली बीट क्षेत्र में जहां पानी के स्रोत हंै, वहां वन्यप्राणियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है, ताकि वन्यजीव पानी की तलाश में यहां-वहां न भटकें।
लोकप्रिय भारती, अनुविभागीय अधिकारी, वन सिहोरा