खिचड़ी को खानपान में प्रमुखता से शामिल हम इसके कई फायदे हासिल कर सकते हैं, खानपान में खिचड़ी भी रखिए
न्यूट्रिशन से भरपूर
आजकल जहां फास्ट फूड खाने का चलन तेजी से बढ़ा है, वहीं पारंपरिक खानपान की हम लगातार उपेक्षा करते जा रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि फास्ट फूड हमारी सेहत को बनाने के बजाय बिगाड़ रहा है जबकि पारंपरिक खानपान हमारी सेहत को मजबूत बनाता है। अब खिचड़ी को ही लीजिए। आज भी कई लोग खिचड़ी को बीमारों का खानपान समझते हैं। खिचड़ी खााने को लेकर लोगों का नजरिया पॉजीटिव नहीं है जबकि खिचड़ी में हमारे लिए कई फायदे छिपे हैं। जानते हैं खिचड़ी हमारे लिए कितनी फायदेमंद है।
जोड़ों में फायदेमंद
खिचड़ी आर्थराइटिस को दूर करने में भी फायदेमंद होती है। दरअसल खिचड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाली हल्दी एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जानी जाती है। हल्दी में गठिया के दर्द से राहत दिलाने के लिए कई गुण होते हैं। हल्दी में शक्तिशाली औषधीय गुणों के साथ बायोएक्टिव कंपाउंड्स भी होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ाते हैं।
हृदय रोग में लाभप्रद
खिचड़ी हृदय रोगियों के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। खिचड़ी में मौजूद दालें पॉनीफेनॉल्स से भरपूर होती हैं, जो ब्लड प्रेशर को कम करने के साथ विभिन्न हृदय रोगों से बचाव करती हैं। कई रिसर्च में ये सामने आया है कि व्यक्ति को दालें रोजाना खानी चाहिए, क्योंकि ये कोरोनरी आर्टरी डिजीज को कम करने की क्षमता रखती हैं।
वजन में कमी
खिचड़ी वजन घटाने में भी मददगार होती है। खिचड़ी खाने से वजन कम होता है। खिचड़ी में मौजूद दाल में फाइबर अधिक मात्रा में होता है, जो इंसुलिन के स्तर को कम रखने के लिए भोजन के पाचन को धीमा करने में मदद करता है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो खिचड़ी में सफेद की जगह ब्राउन चावल का इस्तेमाल करना चाहिए।
पचाने में आसानी
आपने सोचा होगा कि आखिर बीमारी के बाद डॉक्टर खिचड़ी के लिए क्यों कहते हैं? सुपाच्य और हल्की होने की वजह से ही मरीज को खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है। खिचड़ी खाने से शरीर के विषाक्त भी साफ होते हैं। नरम और पौष्टिक होने की वजह से खिचड़ी बुजुर्गों के लिए फायदेमंद खाना है।
दोषों में संतुलन
आयुर्वेदिक आहार का एक प्रमुख भोजन है खिचड़ी, क्योंकि इसमें तीन दोषों, वत्ता, पित्त और कफ को संतुलित करने की क्षमता होती है। शरीर को डीटॉक्सीफाई करने के अलावा खिचड़ी में ऊर्जा, प्रतिरक्षा और पाचन में सुधार के लिए आवश्यक बुनियादी तत्वों का सही संतुलन होता है।
आलस्य नहीं
खिचड़ी की खूबी है कि यह सुपाच्य भोजन होने के कारण फैट व आलस्य पैदा नहीं करती। यही वजह है कि धार्मिक लोगों के आहार में भी खिचड़ी प्राथमिकता से होती है। पर्याप्त प्रोटीन के साथ रक्त में शर्करा की स्थिरता बनाए रखने में सहायक खिचड़ी मन की शांति स्थिर बनाने में सहायक होती है।
छोटे बच्चों के लिए
खिचड़ी छोटे बच्चों के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। 10-11 महीने के बच्चों का मेटाबॉलिज्म बहुत कमजोर होता है और उनका पेट खाए गए खाने को ठीक से हजम भी नहीं कर पाता। ऐसे में बच्चों को खिचड़ी खिलाना अधिक फायदेमंद रहता है। खिचड़ी परिवार के सभी सदस्यों के लिए गुणकारी होती है।