डॉ. संजय अवस्थी, साइंस कम्युनिकेटर
शोध के लिए रुचि बढ़ेगी
यह दुनिया में अनोखा कार्य होगा। इसकी टेक्नोलॉजी के कारण स्पेस प्रोग्राम में देश आगे होगा। मिशन में चंद्रमा में किस तरह की जलवायु, पानी के साथ ही अन्य संसाधन है, इसका जानकारी पर केंद्रित किया गया है। यह प्राप्त होने पर बड़ी उपलब्धि होगी। उसकी उत्पत्ति के बारे में पता लगाया जा सकेगा। इस मिशन से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की छात्रा डॉ. मेघा भट्ट जुड़ी हुई है। उन्होंने वर्ष 2004 में विवि से इलेक्ट्रॉनिक्स में एमएससी किया है। उनके जुड़ाव और मिशन की सफलता से अंचल के अन्य युवा वैज्ञानिक प्रेरित होंगे। नए विषयों पर शोध के लिए रूचि बढ़ेगी। छात्रा का मिशन में होना विवि के लिए गौरव की बात है।
– प्रो. राकेश बाजपेई, फिजिक्स डिपोर्टमेंट, रादुविवि
शहर से पढ़कर वैज्ञानिक बनें ये लोग
– अभय यादव, साइंस कॉलेज से पढ़ाई के बाद जर्मनी में स्पेस फिजिक्स प्रोजेक्ट में रिसर्च कर रहे हैं।
– साकेत कौरव, साइंस कॉलेज से पढ़ाई के बाद स्पेस रिसर्च से जुड़े कई अहम विषयों के शोध कार्य में शामिल।
– निशिकांत शर्मा, गर्वनमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज बीई किया। इसरो के एक सहायक प्रोजेक्ट में वैज्ञानिक हैं।
– सचिन जैन, जीइसी से एमटेक किया। डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं।
– प्रमेंद्र वर्मा, जीइसी से एमटेक हैं डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं।
– नैवेद्य मिश्रा, जीइसी से बीइ हैं। डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं।
– दिनेश त्रिवेदी, शहर के निवासी हैं। डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं।