नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने बताया कि लंबे जल सत्याग्रह के बाद राज्य सरकार ने 7 जून 2013 को
ओंकारेश्वर डैम प्रभावितों के लिए एक विशेष पैकेज का ऐलान किया था। इसके तहत भूमिहीन परिवारों और उनके वयस्क पुत्रों को 2.5 लाख रुपए का अतिरिक्त पैकेज और 31 जुलाई 2019 के आदेश के अनुसार 15% वार्षिक ब्याज देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, बार-बार मांग के बावजूद यह लाभ प्रभावित किसानों के वयस्क पुत्रों को नहीं दिया गया। इसी के चलते नर्मदा बचाओ आंदोलन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी।
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याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने न्यायालय को बताया कि 10 जुलाई 2023 को उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि वयस्क पुत्रों के मामले में जल्द निर्णय लिया जाए। हालांकि, बार-बार ज्ञापन और अधिकारियों से मुलाकात के बावजूद कोई निर्णय नहीं हुआ। अधिवक्ता शर्मा ने यह भी बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि किसानों और भूमिहीनों के वयस्क पुत्रों को समान लाभ दिए जाने चाहिए।
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अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह नर्मदा बचाओ आंदोलन के 10 फरवरी 2022 के ज्ञापन पर विचार करे और दो महीने के भीतर निर्णय ले। आंदोलन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि राज्य सरकार जल्द निर्णय लेकर प्रभावित वयस्क पुत्रों को उनका अधिकार दिलाएगी जिससे उन्हें जीवन निर्वाह का साधन मिल सके।