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आंकड़ों में खुलासा… एमएसएमई मंत्रालय ने बुलाई स्टीयरिंग कमेटी की बैठक
मिष्ठान क्लस्टर को जल्द मिल सकती है हरी झंडी
शहर के दूसरे महत्वपूर्ण क्लस्टर का काम लम्बे समय से अटका है। यह क्लस्टर माइक्रो एंड स्मॉल एन्टरप्रन्योर-क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमएसइ-सीडीपी) के तहत विकसित किया जाना है। 14 करोड़ से ज्यादा की लागत वाले इस क्लस्टर के लिए लम्बे समय से कार्रवाई चल रही है। इसकी डीपीआर को राज्य शासन स्वीकृत करवाकर केंन्द्र सरकार के पास भेजा गया है।
इस काम के लिए जबलपुर मिष्ठान एवं नमकीन प्राइवेट लिमिटेड नाम से स्पेशल परपज वीकल (एसपीवी) का गठन भी किया गया है। इसी एसपीवी की ओर से वर्तमान में क्लस्टर से जुड़ा काम किया जा रहा है। क्लस्टर के कॉमन फैसिलिटी सेंटर के लिए के पनागर के उर्दुआ-खुर्द गांव के समीप करीब तीन एकड़ जमीन स्वीकृत है। यह जमीन विवादित होने के कारण अब दूसरी जमीन की प्रक्रिया पूरी होनी है। इसमें भी देरी होने से कारोबारियों में निराशा व्याप्त है।
यह है खासियत
14 करोड़ से ज्यादा की लागत से तैयार होना है क्लस्टर।
कॉमन फैसिलिटी सेंटर में लगेंगी मैन्युफैक्चरिग मशीनरी।
निर्माण इकाइयां, लैब, कोल्ड स्टोरेज व अन्य सुविधाएं।
खोवा, छेना, चिप्स, बेसन और नमकीन का होगा उत्पादन।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष 4,500 से ज्यादा को मिलेगा रोजगार।
क्लस्टर से हर साल आंकलित टर्नओवर 35 से 40 करोड़।
एमएसएमएई मंत्रालय के विकास आयुक्त कार्यालय के द्वारा स्टीयरिंग कमेटी की बैठक की जा रही है। इसमें मिष्ठान और नमकीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर को स्वीकृति मिलने की उम्मीद की जा रही है।
– बंशीलाल गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष जबलपुर मिष्ठान विक्रेता संघ