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जबलपुर

नकली नोटों की तस्करी में रोहिँग्याओं का बड़ा हाथ, ऐसे खुला चौंकाने वाला राज

बांग्लादेश से नकली नोटों को कराते हैं सरहद पार

जबलपुरOct 30, 2018 / 09:59 pm

Premshankar Tiwari

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नकली नोटों की तस्करी में रोहिँग्याओं का बड़ा हाथ

जबलपुर। ओमती पुलिस की ओर से पिछले दिनों नकली नोटों के साथ पकड़े गए आरोपितों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिमांड पर लिए गए मास्टरमाइंड रीवा के सिरमौर निवासी कौशल उपाध्याय से पूछताछ में सामने आया कि नकली नोट के तार रोहिंग्या शरणार्थियों से भी जुड़े हैं। बांग्लादेश से नोटों की खेप सरहद पार कराकर भारत लाने में रोहिंग्या की भूमिका रहती थी। मालदा में भारत-बांग्लादेश की सीमा कई जगह ऐसी है कि पता नहीं चलता कि कब कोई इधर से उधर पहुंच गया। तस्कर इसी भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाते हैं।

फरक्का पहुंची टीम
ओमती थाने की एक टीम रविवार को फरक्का पहुंची। टीम ने बीएसएफ के साथ मिलकर कई स्थानों पर दबिश दी। इसके अलावा टीम आरोपितों से मिले संदिग्ध मोबाइल नम्बरों की कॉल डिटेल भी खंगालने में जुटी है। बीएसएफ पहले ही संदिग्ध मोबाइल नम्बरों के आधार पर जांच शुरू कर चुकी है। रोहिंग्या के मामले में शामिल होने की जानकारी सामने आने के बाद शरणार्थी शिविरों में रह रहे संदिग्धों पर बीएसएफ ने नजर गड़ाई है। नेपाल बार्डर पर मौजूद सीमा सशस्त्र बल (एसएसबी) भी अपने स्तर पर जांच कर रही है। ओमती टीआइ नीरज वर्मा ने बताया कि 30 अक्टूबर तक रिमांड पर लिए गए तीनों आरोपितों कौशल उपाध्याय सहित शहडोल निवासी संतोष पांडे और सचिन चक्रवर्ती से पूछताछ में मिलने वाली जानकारी बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट और एफआइसीएस विंग के प्रभारी गजेंद्र सिंह को अवगत कराई जा रही है।

ये खोला था राज
ओमती पुलिस ने 24 अक्टूबर को आरोपित कौशल, सचिन व संतोष पांडे को गिरफ्तार कर 87 हजार 200 रुपए के नकली नोट जब्त किए थे। तीनों ने खुलासा किया था कि वे नकली नोट पश्चिम बंगाल के मालदा से लाते थे। आरोपियों के अनुसार बांग्लादेश बार्डर के रास्ते नकली नोटों की खेप देश में लाई जा रही है। वहां से बड़ी मात्रा में और भी नकली करेंसी आने वाली है। इसे चुनाव के दौरान बाजारों में खपाया जाना है। इस गोरखधंधे में कई लोग शामिल हैं, जो देश के कोने-कोने में फैल गए हैं। कई शहरों में नोट खपाने का काम शुरू भी हो गया है। आरोपियों ने बताया कि बांग्लादेश में कलर प्रिंटिंग की मदद से नकली नोट बनाए जाते हैं। इन नोटों को खरीदने के लिए उन्हें एक लाख नकली नोटों के बदले 36 हजार रूपये देने पड़ते हैं? आरोपी भी 100, 200, 500 और 2000 के नकली नोट बनाने में माहिर हैं।

बाजारों में पहुंचे नोट
उल्लेखनीय है कि पुलिस पूछताछ में पता चला था कि आरोपी इन नोटों को वे चाय पान के टपरों व होटलों में चलाते थे। बड़ी संख्या में नोटों को खपाने के लिए चुनाव का इंतजार किया जा रहा था। विधानसभा चुनाव के दौरान इन नकली नोटों का उपयोग किया जाना था। लेकिन पुलिस ने आरोपियों को दबोच लिया। आरोपियों ने संकेत दिए हैं कि जबलपुर ही नहीं प्रदेश के कई शहरों में इस तरह नकली नोट चलाने वाले युवकों के गिरोह फैल गए हैं। चुनाव में इस नकली करेंसी का भारी मात्रा में उपयोग होने की संभावना है। आरोपियों द्वारा किए गए खुलासे के बाद शहर की पुलिस सतर्क हो गई है। अन्य शहरों की पुलिस को सतर्क किया जा रहा है, ताकि नकली नोटों की सप्लाई करने वालों को गिरफ्तार किया जा सके।

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