Railway ट्रेन में डरावनी हो सकती है यात्रा, चूहे कर सकते हैं हमला
पेस्ट कंट्रोल के नाम पर खानापूर्ति
ट्रेनों के भीतर चूहे कतर रहे यात्रियों के बैग
आए दिन सामने आ रहे मामले, रेल प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
जबलपुर. मुख्य रेलवे स्टेशन से शुरू होने वाली ट्रेनों में चूहों का आतंक बढ़ते जा रहा है। आए दिन यात्रियों के बैग चूहों से कुतरे जाने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। इसके बावजूद रेल प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जानकारी के अनुसार पेस्ट कंट्रोल के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। जिसके परिणाम स्वरूप ट्रेन के कोचों में चूहों की संख्या बढ़ती जा रही है।
केस- 01
माह- अगस्त
यात्री का नाम- शिव चौबे
ट्रेन- ओवर नाइट एक्सप्रेस
क्या हुआ- ओवर नाइट एक्सप्रेस में इंदौर से जबलपुर की यात्रा कर रहे शिव चौबे का बैग चूहों ने कतर दिया था। इंदौर पहुंचने पर उन्होंने रेल अधिकारियों से शिकायत का प्रयास किया। जब किसी ने नहीं सुनी, तो सीधे रेल मंत्री को ट्वीट किया।
केस- 02
तारीख-21 अगस्त
ट्रेन संख्या- 11464
ट्रेन- सोमनाथ एक्सप्रेस
क्या हुआ- गाड़ी संख्या 11464 सोमनाथ एक्सप्रेस रवाना होने के लिए मदन महल स्टेशन पर पहुंची। अधिकारियों ने उसे चैक किया, तो उसके पावर कार क्रमांक 18859 में चूहा मरा मिला। बाद में पावर कार को बदला गया।
केस- 03
तारीख- 11 सितंबर
यात्री का नाम- पराग गर्ग
ट्रेन- ओवर नाइट एक्सप्रेस
क्या हुआ- पराग गर्ग गाड़ी संख्या 22192 की एसी टू कोच की बर्थ संख्या 46 में 11 सितंबर की रात यात्रा कर रहे थे। इस दौरान नीचे रखा उनका लैपटॉप का बैग चूहे ने कुतर दिया। पराग ने यह शिकायत रेलमंत्री को ट्वीट की। पराग ने यह भी लिखा कि सूचना देने पर कोच अटेंडर ने उनसे कहा कि उसका बैग भी चूहे कुतर चुके हैं।
केस 04
माह- 13 सितम्बर
यात्री का नाम- सोमेश जैन
ट्रेन- मुंबई हावड़ा एक्सप्रेस
क्या हुआ- हनुमानताल निवासी सोमेश जैन गाड़ी संख्या 13 सितम्बर को पारसनाथ स्टेशन के लिए रवाना हुए। एसी 3 के कोच बी 3 में 45, 46 नंबर की बर्थ पर सफर कर रहे थे। वे पारसनाथ स्टेशन पहुंचे। इसके पूर्व ट्रेन में चूहों ने उनका बैग कुतर दिया था।
15 दिन से एक माह में ट्रीटमेंट
जबलपुर से शुरू होने और यहां समाप्त होने वाली ट्रेनों में चूहों और कीड़े-मकोड़ों की समस्या से निपटने के लिए रेलवे ने शेड्यूल तैयार किया है। किसी में 15 दिन तो किसी में एक माह में यह ट्रीटमेंट किया जाता है।
पहले तो सामान्य श्रेणी और स्लीपर में चूहे होने के मामले सामने आते थे, लेकिन अब एसी कोचों में भी ये समस्या बन रहे हैं।
यह है स्थिति
प्रतिमाह कोचों में मिलते हैं चूहे- 50 लगभग
प्रतिमाह प्लेटफॉर्म पर मिलते हैं चूहे-100 लगभग
ऐसे पकड़े जाते हैं चूहे- फ्लू पैड के जरिए
ऐसे मारे जाते हैं कीड़े मकोड़े-केमिकल कम्पोजिशन व कीटनाशकों के जरिए
यह होती है परेशानी
-कोच में बेडरोल और कम्बल कुतर देते हैं।
-कोच में यात्रियों का सामान भी कुतर देते हैं चूहे।
-कोच व प्लेटफॉर्म पर खानपान की सामग्री खा जाते हैं चूहे।
-पटरियों के नीचे व प्लेटफॉर्म पर बना लेते हैं बिल।
पैड के भरोसे पकड़ते हैं चूहे
ट्रेनों में फ्लू पैड लगाए जाते हैं, जिनके सहारे चूहों को पकडऩे का प्रयास किया जाता है, लेकिन चूहे इन फ्लू पैड को धोखा दे जाते हैं। कई बार तो चूहे फ्लू पैड तक लेकर भाग जाते हैं।
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