शोध का विषय बनी परिक्रमा
वाटर वुमन शिप्रा पाठक ने बताया नर्मदा परिक्रमा अब केवल धार्मिक यात्रा नहीं रही, बल्कि यह शोध का विषय भी बन गई है। कुछ सालों पहले तक धार्मिक सोच व ग्रामीणों की संख्या सबसे ज्यादा थी। जबकि वर्तमान में अच्छे पढ़े लिखे लोगों की संख्या बहुत है। परिक्रमा चाहे पैदल हो या वाहन आदि से सबको अपने अलग रंगों में नर्मदा का रूप दिखाई देता है। 30 से 50 वर्ष के लोग नर्मदा परिक्रमा में मिलने वाले अनुभवों को जानने के लिए निकल रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार इस साल युवा परिक्रमावासियों की संख्या ज्यादा रहेगी।
परिक्रमा से मोक्ष की कामना
नर्मदा महाआरती के संस्थापक एवं तीर्थ पुरोहित संघ के ओंकार दुबे ने बताया नर्मदा परिक्रमा करना हर भक्त की कामना होती है। लेकिन कम लोगों को ये सौभाग्य प्राप्त होता है। परिक्रमा के दौरान जबलपुर के ग्वारीघाट परिक्षेत्र से गुजरने वाले परिक्रमावासियों का यहां रुकना होता है। अधिकतर श्रद्धालु मोक्ष की कामना लेकर यह परिक्रमा करते हैं, वहीं युवा पीढ़ी नर्मदा के वैभव, संघर्ष, ज्ञान और विज्ञान व आध्यात्म को जानने के लिए हजारों की किमी का सफर करती है। अभी कुछ जत्थे अमरकंटक, मंडला और डिंडौरी से शुरू हुई परिक्रमा के निकले हैं। इस महीने के आखिर व आगामी माहों में इनकी संख्या हजारों में होती है।
धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा, 10 हजार से ज्यादा होगी संख्या
मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा 14 अक्टूबर से नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत की गई थी। जिसका पहला जत्था परिक्रमा कर लौट चुका है, वहीं दूसरा जत्था 5 नवंबर को रवाना होगा। 15 दिन और 14 रातों की यह यात्रा प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने एवं नर्मदा को करीब से जानने के लिए शुरू की गई है। रीजनल मैनेजर केएल पटेल ने बताया इस सीजन में नर्मदा परिक्रमा के लिए 500 से ज्यादा लोगों ने संपर्क किया है। वहीं टूर्स एंड ट्रेवल्स संचालकों द्वारा भी अच्छे पैकेज पर नर्मदा परिक्रमा कराई जा रही है। एक अनुमान के अनुसार संभाग से इस सीजन में करीब 10 हजार लोगों के नर्मदा परिक्रमा पर जाने की संभावना है। ये यात्रा एमपीटी, टूर्स एंड ट्रेवल्स के अलावा कई धार्मिक, सामाजिक संगठनों के द्वारा कराई जाएंगी। जिनमें पैदल परिक्रमा करने वालों की संख्या 40 प्रतिशत तक होगी।
यहां से शुरू होती हैं परिक्रमा
केएल पटेल ने बताया नर्मदा परिक्रमा अधिकतर अमरकंटक, डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, बरमानघाट, नर्मदापुरम(होशंगाबाद), ओंकारेश्वर समेत अन्य सिद्ध घाटों से शुरू होती हैं।