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जबलपुर

यहां एक ही स्थान पर देखें 65 अनोखे मंदिर, जानें ढाई हजार साल पुरानी कहानी

कुण्डलपुर में बैठे (पद्मासन) आसन में बड़े बाबा की एक प्रतिमा है। इस प्राचीन स्थान को सिद्धक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है।

जबलपुरFeb 25, 2017 / 03:43 pm

Abha Sen

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जबलपुर। भगवान महावीर का जन्म करीब 2600 वर्ष पूर्व कुण्डलपुर (बिहार) में हुआ था। आज हम आपको एक ऐसे स्थान पर ले जा रह हैं जिसे कुण्डलपुर के नाम से ही जाना जाता है, लेकिन ये स्थित है दमोह जिले में। यहां देशी और विदेशी टूरिस्ट हर साल बड़ी संख्या में आते हैं। यह स्थान भी अपनी आलौकिक खूबियों के लिए प्रसिद्ध है। सात साल बाद जंगल, नदी, पहाड़ पार करके बड़े बाबा से मिलने छोटे बाबा पहुंचे। इसी उपलक्ष्य में हम आपको आज कुण्डलपुर की सैर करा रहे हैं। 

कुण्डलपुर भारत में जैन धर्म के लिए एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है। यह मध्य प्रदेश के दमोह जिले में शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुंडलगिरी में है। कुण्डलपुर में बैठे (पद्मासन) आसन में बड़े बाबा (आदिनाथ) की एक प्रतिमा है। इस प्राचीन स्थान को सिद्धक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यहां अति आलौकिक 65 मंदिर स्थापित हैं जो करीब आठवीं-नौवीं शताब्दी के बताए जाते हैं। यह क्षेत्र 2500 साल पुराना बताया जाता है यहां मौजूद मुख्य मंदिर को राजा छत्रसाल ने बनवाया था। बड़े बाबा की विशालतम चमत्कारिक पद्मासन प्रतिमा 15 फीट ऊंची है।

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ये कथा है प्रचलित
बताते हैं कि एक बार पटेरा गांव में एक व्यापारी बंजी करता था। वही प्रतिदिन सामान बेचने के लिए पहाड़ी के दूसरी ओर जाता था, जहां रास्ते में उसे प्रतिदिन एक पत्थर पर ठोकर लगती थी। एक दिन उसने मन बनाया कि वह उस पत्थर को हटा देगा, लेकिन उसी रात उसे स्वप्न आया कि वह पत्थर नहीं तीर्थंकर मूर्ति है। स्वप्न में उससे मूर्ति की प्रतिष्ठा कराने के लिए कहा गया, लेकिन शर्त थी कि वह पीछे मुड़कर नहीं देखेगा। उसने दूसरे दिन वैसा ही किया, बैलगाड़ी पर मूर्ति सरलता से आ गई। जैसे ही आगे बढ़ा उसे संगीत और वाद्यध्वनियां सुनाई दीं। जिस पर उत्साहित होकर उसने पीछे मुड़कर देख लिया। और मूर्ति वहीं स्थापित हो गई।

अब भी है टूटी अंगुली 
कहा जाता है कि मूर्ति को तोडऩे के लिए एक बार औरंगजेब ने अपनी सेना को भेजा, जैसे ही मूर्ति पर सेना ने पहला प्रहार किया, बड़े बाबा की मूर्ति की अंगुली से एक छोटा सा टुकड़ा उछलकर दूर जा गिरा। और दूध की धारा बहने लगी। इस पर सेना पीछे हट गई। लेकिन दोबारा वे आगे मूर्ति तोडऩे के लिए बढ़े तो मधुमक्खियों ने उन पर हमला कर दिया। जिससे उन्हें जान बचाकर भागना पड़ा। बड़े बाबा की मूर्ति का टूटा हुआ यह हिस्सा अब भी यहां देखा जा सकता है।

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कनेक्टिविटी: 
• सड़क मार्ग-यह सभी दिशाओं से सड़कों से जुड़ा हुआ है। कुण्डलपुर के आस-पास के शहर हटा दमोह, सागर, छतरपुर, जबलपुर से नियमित बस सेवा है।
• एयरपोर्ट- कुण्डलपुर से लगभग 155 किलोमीटर की दूरी पर निकटतम हवाई अड्डा, जबलपुर है।
• रेल- कुण्डलपुर तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन से 37 किलोमीटर की दूरी पर दमोह रेलवे स्टेशन है।

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