उन्होंने नगर पालिका के आदेश को रद्द कर दिया और पुष्पा सिंह को पूरा किराया भत्ता देने का आदेश दिया। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि पति को जो घर मिला है वह मुफ्त मिला है और दोनों पति-पत्नी एक ही घर में रहते हैं। इसलिए नियमों के हिसाब से याचिकाकर्ता पुष्पा सिंह किराया भत्ता पाने की हकदार हैं न कि उसका पति।
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महिला कर्मचारी पुष्पा सिंह ने अपनी याचिका में बताया कि उनके पति एसईसीएल में काम करते हैं। उन्हें कंपनी ने मुफ्त में घर दिया है। उन्हें बिजली के बिल के अलावा और कोई बिल नहीं दें पड़ता है। इसलिए नियमों के मुताबिक अगर पति-पत्नी दोनों सरकारी या किसी निगम-मंडल में नौकरी करते हैं तो सिर्फ एक को ही किराया भत्ता मिल सकता है।