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जबलपुर

MP Government New Guideline : डीजे वाले बाबू ऊंचा नहीं कर सकेंगे वॉल्यूम, जरा तेज आवाज की तो साउंड सिस्टम होगा जब्त, FIR भी होगी दर्ज

MP Government New Guideline : बाइक के साउंड के बराबर ही आवाज हो, इससे अधिक पर उल्लंघन, थानों में बैठक कर धर्म गुरुओं, डीजे और मैरिज गार्डन संचालकों को समझाया…

जबलपुरDec 16, 2023 / 04:23 pm

Sanjana Kumar

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MP Government New Guideline: जिले में कोलाहल अधिनियम (Noise Act) के तहत लाउड स्पीकर, डीजे का साउंड निर्धारित कर दिया गया है। अब निर्धारित डेसीबल से अधिक आवाज आई तो साउंड सिस्टम जब्त कर लिया जाएगा, केस भी दर्ज होगा। शुक्रवार को पहले दिन शहर में धर्म गुरुओं, डीजे संचालकों, मैरिज गार्डन संचालकों के साथ थानों में बैठक की गई। इसमें शासन के नए नियम की जानकारी दी गई। कहा गया कि नियमों का पालन करें, उल्लंघन करते पाए गए तो साउंड सिस्टम जब्त करने के साथ केस भी दर्ज किया जाएगा। पत्रिका ने स्पीकर की कितनी आवाज रखनी है, इसकी जानकारी विशेषज्ञों से ली। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरके रोहतास का कहना है कि मोटर साइकिल से जो आवाज आती है, वह निर्धारित मापदंड में रहती है। शहर में डीजे व लाउड स्पीकर भारी आवाज में बज रहे हैं, जिनकी आवाज मापदंड से कहीं अधिक है। इधर डीजे संचालकों का कहना है कि इससे पूरा व्यापार ही चौपट हो जाएगा। मानक के अनुसार इंस्ट्रूमेंटल धुन ही बजा सकेंगे।

इतनी आवाज में बजा सकते हैं

– एक डेसिबल की आवाज 435.55 स्क्वायर फीट तक सुनाई देती है। आवासीय क्षेत्र में दिन का डेसिबल 55 है। साउंड इतना खोलें कि 23 हजार 955 स्क्वायर फीट (एक बीघा से अधिक) में सुनाई दे। इससे बाहर आवाज जाती है तो नियम का उल्लंघन माना जाएगा।

– लाउड स्पीकर, डीजे इस स्थिति में नहीं बजा सकेंगे। क्योंकि लाउड स्पीकर व डीजे की आवाज किलोमीटर तक पहुंच जाती है।

– ध्वनि प्रदूषण नापने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास दो मशीनें हैं। एक साढ़े तीन लाख रुपए की आती है, दूसरी हेंड मीटर है, जिसकी कीमत 1.50 लाख रुपए है। आम लोग ध्वनि नापने के लिए यंत्र नहीं खरीद सकते हैं।

– गूगल प्ले स्टोर पर भी ध्वनि मापने के ऐप मौजूद हैं। इससे औसत पता कर सकते हैं, सही जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डिवाइस से मिल सकती है।

– यदि 80 डेसिबल से ऊपर आवाज जाती है तो उससे लोगों में बहरेपन का खतरा बढ़ जाता है। चिड़चिड़ापन आता है।

 

https://youtu.be/EGBkEmu5wbw

ये मानक निर्धारित
लिमिट डेसिबल
जोन – दिन – रात
औद्योगिक- 75 -70
व्यवसायिक – 65 – 55
आवासीय – 55 – 45
शांत क्षेत्र – 50 – 40
(इससे अधिक आवाज हुई तो कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।)

शांत क्षेत्र: स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, हाईकोर्ट, वीवीआइपी इलाके आते हैं।
आवासीय: कॉलोनी, मोहल्ले, हाउसिंग प्रोजेक्ट की कॉलोनी।
व्यवसायिक क्षेत्र: महाराज बाड़ा आदि क्षेत्र
औद्योगिक- बाराघाटा, तानसेन नगर आदि क्षेत्र

डीजे वालों के लिए काम करना ही मुश्किल है
डीजे बजाने के लिए जो मानक तय किए हैं, उसके मुताबिक तो काम करना ही मुश्किल हो जाएगा और डीजे का काम करने वाले पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे। डीजे की जगह इंस्ट्रूमेंटल धुन से ही काम करना पड़ेगा। इसे लेकर जल्द ही सभी सदस्य एसपी से मिलकर ज्ञापन देंगे।
– गिरीश शर्मा, अध्यक्ष, ग्वालियर साउंड एंड इवेंट एसोसिएशन


नियमों की जानकारी दी है
पहले दिन बैठक कर नियमों की जानकारी दी है। धर्म गुरू, डीजे संचालक, गार्डन संचालकों को नियम के बारे में बता दिया है। यदि खुद पालन नहीं करते हैं तो साउंड सिस्टम जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।

– नरेश गुप्ता, एसडीएम लश्कर

धर्मगुरूओं को समझाया: ऊपर वाला तो दिल की आवाज सुनता है, शोर की जरूरत नहीं

पुलिस की नसीहत काम आई, जुमे की नमाज से पहले उतारे स्पीकर, मंदिर से भी हटाए

ग्वालियर. ऊपर वाला तो दिल की आवाज सुनता है, फिर शोर शराबे की क्या जरूरत है। शांति से पूजा पाठ में जो सुकून है वह हो हल्ले में नहीं मिल सकता। इन दलीलों के साथ शुक्रवार को पुलिस ने शहर और देहात में धर्मगुरूओं से बात की। सिरसौद (हस्तिनापुर) में पुलिस की बात लोगों पर असर कर गई। धर्मस्थल से लोगों ने खुद लाउड स्पीकर उतारे। जिले में धर्मस्थल से स्पीकर उतारने की यह पहली कार्रवाई रही।

पुलिस का कहना था मजिस्द के पास स्कूल भी है। धर्मस्थल पर लाउड स्पीकर का शोर बच्चों की पढाई पर असर डालता है। स्कूल में तो सभी धर्म के बच्चे पढ़ते हैं। उनकी पढाई क्यों खराब कर रहे हो। इमाम उजरअहमद और गांव के बुजुर्ग शमशााद अली समेत पूर्व सरपंच आबिद अली ने तय किया जुमे की नमाज बाद में होगी पहले लाउड स्पीकर हटाएंगे और मजिस्द पर आकर बुर्ज पर लगे स्पीकर को हटावाया। उसके बाद छारी मौहल्ला में शिव मंदिर पर लगा लाउड स्पीकर लोगों ने उतार लिया। एसडीओपी संतोष पटेल ने बताया अपने हाथों धर्मस्थल से लाउड स्पीकर उतारने पर धर्मगुरूओं का शाल और फूलमाला से सम्मान किया।

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