बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश पर गठित जांच कमेटी में जस्टिस त्रिवेदी के अलावा एडीजी साइबर क्राइम योगेश देशमुख, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय के वाइसचांसलर डॉ. सुनील कुमार गुप्ता, एमपीएसइडीसी के सीनियर कंसलटेंट विरल त्रिपाठी और एमपीएसइडीसी में टेस्टिंग इंजीनियरिंग प्रियंक सोनी को शामिल किया गया है। जांच कमेटी को महीने भर में जांच पूरी कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी है। ऐसे में कमेटी के सभी सदस्य जबलपुर पहुंचे और यूनिवर्सिटी में जा कर पड़ताल शुरू कर दी।
ये भी पढें- MP Medical University examination फिर विवादों में, विद्यार्थियों का हंगामा जानकारी के अनुसार जांच कमेटी ने परीक्षा संबंधी गड़बड़ियों के संबंध में परीक्षा परिणाम तैयार करने वाली ठेका कंपनी से सभी संबंधित कागजात तलब किया है। साथ ही जांच के बिंदुओं का निर्धारण करते हुए इसकी विस्तृत सूची यूनिवर्सिटी प्रशासन को सौंप दी है। इन रिकार्ड्स के साथ ही एडीजी साइबर क्राइम पास-फेल को लेकर किए गए ईमेल, ऑनलाइन भुगतान आदि से जुड़े टेक्निकल कारकों की पड़ताल शुरू की है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जांच कमेटी ने यूनिवर्सिटी के प्रशासक कुलपति सहित अन्य अधिकारियों के साथ कॉफ्रेंस रूम में घंटों चर्चा की। इस प्रकरण को पूरी तरह से जाना-समझा। साथ ही टर्मिनेट किए गए ठेका कंपनी माइंड लाजिस्क के कामों को समझा। फिर पूर्व में हुई विभागीय जांच रिपोर्ट से जुड़े रिकार्ड तलब किया।
बता दें कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में परीक्षा-परिणाम संबंधी कार्य करने वाली ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स के गोपनीय विभाग के एक बाबू को निजी मेल पर रिजल्ट भेजने के खुलासे के बाद कई गड़बडियां उजागर हुई थीं। चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच में ही यूनिवर्सिटी में अनुपस्थित विद्यार्थियों को अच्छे नंबर से पास करने जैसी गंभीर अनियमितता की प्रारंभिक जानकारी सामने आई थी। उसके बाद घोटाले का खुलासा करने वाले अधिकारियों को ही आनन-फानन में हटा दिया गया, तब इस अनियमितता को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई जिस पर कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने जस्टिस केके त्रिपाठी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की।