रक्षा सम्पदा विभाग ने शुरू किया सर्वे
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में जमीन का होगा आकलनअब इस जमीन के मकान टूटेंगे
मप्र के सभी जिलों के हजारों मकान शामिल
डिफेंस की जमीन पर कहां अतिक्रमण, कितने में हुआ नया निर्माण
डीजीपीएस का होगा उपयोग
सर्वे के लिए पहले टोटल स्टेशन मशीन का इस्तेमाल होता था। लेकिन, सटीक नापजोख के लिए डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। फेज-1 में भी यही तकनीक अपनाई गई थी। इस तकनीक से दस सेंटीमीटर की निकटता तक जगह का पता आसानी से लगाया जा सकता है। यह जीपीएस प्रणाली से बेहतर है।
एलपीआर के पास सबसे ज्यादा जमीन जबलपुर में रक्षा सम्पदा विभाग के अंतर्गत लॉन्ग प्रूफ रेंज (एलपीआर) के पास सबसे ज्यादा नौ हजार एकड़ जमीन है। एलपीआर 14 किमी लम्बा है। ओएफके के पास 4 हजार एकड़, जीसीएफ के पास 18 सौ एकड़, सीओडी के पास 1900 एकड़ और वीएफजे के पास लगभग 900 एकड़ जमीन है।
फौजी पड़ाव मद में भी बड़ा रकबा
फौजी पड़ाव (कैम्पिंग ग्राउंड) की जमीन भी रक्षा संपदा विभाग के अंतर्गत है। सूत्रों ने बताया कि अभी इस मद में सिहोरा में 40 एकड़, शहपुरा में आठ, नीमखेड़ा में 12, गाडरवारा (नरसिंहुपर) में 6 एकड़, मटकुली (होशंगाबाद) में 21 एकड़, पगारा (होशंगाबाद) में 22 एकड़, सिंगानामा (होशंगाबाद) में छह एकड़ और पिपरिया (होशंगाबाद) में 20 एकड़ जमीन है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी विभाग की जमीन है।