महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने बताया कि आज का दिन ऐतिहासिक है। सदन में सभी सदस्यों ने एमआइसी के उस प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान कर दी जिसमें ग्वारीघाट के नाम को गौरीघाट किया गया है। संस्कारधानी के नागरिक अब इस पवित्र स्थान को गौरीघाट के नाम से जानेंगे। सदन की बैठक में दूसरा जरूरी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसमें तय हुआ कि जबलपुर में प्रदेश का सबसे ऊंचा राष्ट्रध्वज फहराया जाएगा।
महापौर का कहना था कि यह निर्णय भी संस्कारधानी का गौरव बढ़ाएगा। शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन चली बैठक में पक्ष और विपक्ष के पार्षदों ने शहर विकास से जुडे़ दूसरे जरूरी विषयों पर चर्चा की। इधर, पूरे शहर की आस्था का केंद्र ग्वारीघाट को संत समाज पहले भी गौरी घाट ही कहता था। अब आधिकारिक रूप से इसका नाम बदले जाने का संत और सर्वसमाज ने स्वागत किया है।
इस घाट का नाम वास्तव में गौरी घाट ही था। गौरी माता पार्वती का नाम है और नर्मदा शिव तनया हैं। इसलिए नाम तर्क सम्मत भी है। संतों ने घाट का नाम फिर से गौरी घाट रखने का प्रस्ताव दिया था, जिसे नगर निगम ने स्वीकार कर लिया।
स्वामी गिरीशानंद
वास्तव में नर्मदा के इस घाट का नाम गौरी घाट ही था। अपभ्रंश होते-होते यह ग्वारीघाट कहा जाने लगा। घाट का मूल नाम फिर से वापस रखना सही कदम है।
स्वामी अखिलेश्वरानंद