जबलपुर। केन्दीय वित्त मंत्री अरुण जेटली सोमवार को अपनी पोटली खोलेंगे। देश का आम बजट लोकसभा में पेश करेंगे। लोगों को उम्मीद है कि जेटली अपनी पोटली में राहत लेकर आएंगे। महंगाई से छुटकारा दिलाएंगे और सस्ते होम लोन के रूप में सभी के अपने घर का सपना साकार करेंगे। इनकम टैक्स में छूट की लिमिट बढ़ाकर पांच लाख तक की जाएगी। सभी बड़ी आशा उद्योग जगत के लोग भी लगाए बैठे हैं। पूरे देश का बाजार मंदी से गुजर रहा है। बड़े उद्योगपति मैदान छोड़ रहे हैं, वहीं नए उद्यमी आकर्षित ही नहीं हो पा रहे। अधोसंरचना का पिछड़ापन इसका बड़ा कारण है। देश को उम्मीद है कि वित्त मंत्री कुछ ऐसे माहौल का राज खोलेंगे जो उद्यमियों को आगे आने के लिए आकर्षित करेगा। युवाओं के हाथों को रोजगार मिलेगा। पिछले तीन साल से प्रकृति की मार झेल रहे किसानों के चेहरे भी खिल उठेंगे। बजट किसान, युवा और मेन इन इंडिया के ताने-बाने को मजबूत करने वाला होगा।
इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़े
युवा उद्यमी हिमांशु खरे का कहना है कि आयकर सीमा में छूट को लेकर लोगों की जो आशाएं थीं वह पिछले साल अधूरी रह गई थीं। लोगों को उम्मीद है कि इस साल सरकार जन अपेक्षाओं को पूरा करेगी। आयकर में छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपए करेगी। खरे का कहना है कि नए उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आसान ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। होम लोन सस्ता होने पर ही 2020 तक सबका घर का सपना साकार होगा। उद्योगपति डीआर जैसवानी का कहना है कि सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी में छूट की सीमा 1.50 करोड़ से पांच करोड़ की जानी चाहिए। इससे उद्यमियों को लाभ तो होगा ही इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को भी मिलेगा। उद्यमियों को सुविधाएं दी जाएं ताकि रोजगार के अवसर उपलब्ध हों। इसके लिए नियमों को शिथिल किया जाना चाहिए।
जटिलताओं का हो समाधान
उद्योगपति प्रेम दुबे का कहना है कि अभी उद्यम लगाना और उसे चलाना चुनौती से कम नहीं है। इसके नियमों में बेहद जटिलताएं हैं। इतनी अधिक औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं कि युवा उद्यमी निराश हो जाते हैं। देश हित में उद्योग से संबंधित नियमों को सरल व पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। उद्योगों को जो अप्रासंगिक नियम हैं उनको खत्म किया जाना चाहिए। टैक्स एडवोकेट शिशिर नेमा का कहना है कि देश के कई बड़े उद्योगपति भारी मात्रा में ऋण ले लेते हैं और बाद में डिफॉल्टर हो जाते हैं। सरकार की एक बड़ी राशि जाम हो जाती है या लैप्स हो जाती है। इस संबंध में ठोस निर्णय होने चाहिए, ताकि टैक्स देने वाली ईमानदार जनता की राशि का सदुपयोग हो सके और यह राशि युवा उद्यमियों को देकर उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके। ऋण के रूप में भारी-भरकम रकम लेकर उसे न चुकाने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए।
सस्ता हो होम लोन
जानकारों का कहना है बैंकों द्वारा वर्तमान में नौ से दस फीसदी ब्याज दर पर होम लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। पिछले दो वर्षों से गृह निर्माण क्षेत्र संकट से जूझ रहा है। ब्याज दर अधिक होने के कारण लोग लोन नहीं ले पा रहे हैं। इससे हर व्यक्ति के पास खुद के घर का सपना धूमिल हो रहा है साथ ही इससे जुड़े विभिन्न उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
बढ़ाई जाए सब्सिडी
समाजसेवी आरपी तिवारी का कहना है कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उद्योग लगाने के लिए अभी तक 25 लाख रुपए की सब्सिडी दी जाती है। मंहगाई के दौर में इतनी राशि में उद्योग लगाना मुश्किल है। इसलिए इस सब्सिडी को 25 की जगह 50 लाख रुपए किया जाना चाहिए। इससे नए उद्योग खुलेंगे साथ ही रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे।
बिना गारंटी के मिले ऋण
व्यवसायी अनूप जैन का कहना है कि टीजीटीएनएसई योजना के तहत उद्योग लगाने के लिए एक करोड़ रुपए का ऋण बिना कुछ गिरवी रखे दिया जाता है। इस ऋण को बढ़ाया जाना चाहिए। कम से कम दो करोड़ रुपए इस योजना के तहत दिए जाएं। इससे नए उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
एक्साइज में छूट मिले
उद्यमियों का कहना है कि लघु और मध्यम उद्योगों को एक्साइज ड्यूटी में छूट दी जानी चाहिए। पांच करोड़ रुपए तक की आय पर एक्साइज छूट होनी चाहिए। इससे उद्यमियों को व्यापार करने में सहूलियत होगी। वर्तमान में उद्यमियों को 1.50 करोड़ रुपए तक की वार्षिक आय में सेंट्रल एक्साइज की छूट दी जाती है।
सर्विस टैक्स में मिले रियायत
अभी तक दस लाख रुपए तक की आय में सर्विस टैक्स लिया जाता है। इसे बढ़ाने की मांग की गई है। माना जा रहा है कि सरकार इस सम्बंध में भी बड़ा फैसला ले सकती है।
बैंक में जमा करो वेतन
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए केन्द्र सरकार प्रतिबद्ध है। यदि ऐसा होता है तो सरकार को एक बड़ी राशि कर्मचारियों को वेतन और एरियस के रूप में देनी पड़ेगी। इससे आर्थिक बोझ बढ़ेगा। आर्थिक बोझ कम करने के लिए सरकार को चाहिए कि वो कर्मचारियों को लाभ दे लेकिन यह लाभ बैंक खातों में दिया जाए। यह नियम लागू किया जाए कि कर्मचारी इस राशि को तीन वर्ष तक न निकाले। इस राशि पर कर्मचारी को ब्याज दिया जाए। इससे एक बड़ी राशि सरकार के पास रहेगी और वह अन्य कार्यों में इसे खर्च कर सकेगी।
सब्सिडी छोडऩा जरूरी न हो
केन्द्र सरकार उच्च आय वालों को चिन्हित करके उनसे सब्सिडी छीनने की तैयारी में है। इसके संकेत भी दिए गए हैं। यदि ऐसा होता है तो इससे बहुत लोग प्रभावित होंगे। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए कोई पेंशन स्कीम नहीं होती। जब तक वे नौकरी करते हैं तब तक तो सब्सिडी छोड़ सकते हैं पर नौकरी छूटने के बाद उनकी हालत खस्ता होगी। मर्जी के मुताबिक सब्सिडी छोडऩे पर ही सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
काले धन का मसला
विदेशों में जमा काला धन वापस आना दूर की कोंड़ी नजर आता है। सरकार आय बढ़ाने के लिए वीडीआईएस स्कीम शुरू कर सकती है। इससे काला धन वाइट करने की एवज में सरकार को बड़ी आय हो सकती है। इस आय से सरकार बड़े कार्य कर सकती है।
शिक्षा-स्वास्थ्य में हो प्रत्यक्ष पूंजी निवेश
सरकार केवल रेलवे में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश की बात कर रही है। लेकिन यदि यही निवेश शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में किया जाए तो इससे बेहतर सुधार होंगे। देश के विश्वविद्यालय दूसरे देशों के विवि से संबद्ध होकर बेहतर परिणाम दे सकते हैं। इसके अलावा अस्पतालों में विदेशी मशीनों से उच्च गुणवत्ता का इलाज मिल पाएगा।
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