सर्जरी के बाद ट्यूब डालने की जरूरत नहीं
मेडिकल कॉलेज की दूसरी रीसर्च अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र द ट्रॉपिकल डॉक्टर में प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च से डॉ.यादव व उनकी टीम महिलाओं को स्तन कैंसर की सर्जरी के बाद उस दर्द से राहत दिलाने में सफल रहे हैं, जो सर्जरी के बाद लगभग एक सप्ताह तक स्तन के घाव वाले हिस्से का द्रव बाहर निकालने के लिए नली डालने के कारण होता था। महिलाओं को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए चिकित्सकों की टीम ने एक सस्ती तकनीक विकसित की।ये लक्षण ना करें इग्नोर, डॉक्टर को जरूर दिखाएं
- ब्रेस्ट में गांठ या त्वचा का मोटा होना, जो आस-पास की स्किन से कुछ अलग सा लग रहा हो।
- अंदर की ओर मुड़ा हुआ या चपटा निप्पल।
- ब्रेस्ट की त्वचा के रंग में परिवर्तन आना।
- गोरी त्वचा वाले लोगों में ब्रेस्ट स्किन कुछ गुलाबी या लाल दिख सकती है।
- भूरी और काली त्वचा वाले लोगों में ब्रेस्ट स्किन छाती की अन्य त्वचा की तुलना में गहरे रंग की नजर आना या फिर लाल या बैंगनी रंग की दिखना।
- ब्रेस्ट का आकार, आकृति में परिवर्तन।
- ब्रेस्ट स्किन पर गड्ढे पड़ना या संतरे के छिलके जैसी स्किन नजर आना।
- ब्रेस्ट स्किन का छिलना, पपड़ी बनकर उतरना।
किसे ज्यादा खतरा
- जिनकी फैमिली हिस्ट्री रही हो उन्हें सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
- ब्रेस्ट कैंसर की पर्सनल हिस्ट्री रही हो एक ब्रेस्ट में कैंसर के बाद दूसरे ब्रेस्ट में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- ब्रेस्ट की स्थितियों में बदलाव भी कैंसर का बड़ा कारण बन सकता है। इन स्थितियों में लोबुलर कार्सिनोमा इन सिटू, जिसे LCIS भी कहा जाता है और ब्रेस्ट का एटिपिकल हाइपरप्लासिया शामिल है। यदि आपने ब्रेस्ट बायोप्सी करवाई है और उसमें इनमें से कोई एक स्थिति पाई गई है, तो आपको ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा है।
- 12 साल की उम्र से पहले यदि पीरियड्स शुरू हो जाते हैं, तो भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- 55 वर्ष की उम्र के बाद मेनोपॉज शुरू होने से भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा होता है।
कैसे रहें अवेयर
ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के बारे में डॉक्टर से बात करें। कब करवाएं, फायदे या नुकसान, कौन से टेस्ट सही हैं?समय-समय पर अपने हाथों से ही ब्रेस्ट का निरीक्षण करते रहें, कोई परिवर्तन या गांठ दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
शराब पीने से भी कैंसर का खतरा है, कम से कम सेवन करें।
योगा और एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल करें।
मेनोपॉज हार्मोन्स थेरेपी ले रहे हैं तो कम करें।
वजन को कंट्रोल में रखें।