जबलपुर। इंटरनेशनल योग दिवस 21 जून को मनाया जा रहा है। योग को लेकर कई परिभाषाएं मौजूद हैं जिनमें से दो प्रमुख हैं। पहली परिभाषा के अनुसार गीता में लिखा है “योग: कर्मसु कौशलम्” अर्थात् फल की इच्छा के बिना कर्म की कुशलता ही योग है। दूसरी परिभाषा महर्षि पतंजलि द्वारा दी गई जिन्हें योग गुरू या जनक माना जाता है। महर्षि के अनुसार “योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:” यानी मन की इच्छाओं को संतुलित बनाना योग कहलाता है। आज हम आपको महर्षि पतंजलि के बताए अष्टांग योग के बारे में बता रहे हैं। इन्हें करने के शारीरिक फायदे तो हैं ही साथ ही इसके जरिए आयुर्वेद के नजदीक भी पहुंचा जा सकता है।
अष्टांग योग
यम: इसमें सत्य व अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्या का पालन व ज्यादा चीजों को इकटा करने से बचना शामिल है।
नियम: ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, तप, संतोष और शौच महत्वपूर्ण माने गए हैं।
आसन: स्थिर की अवस्था में बैठकर सुख की अनुभूति करने को आसन कहते हैं।
प्राणायाम: सांस की गति को धीरे-धीरे वश में करना प्राणायाम कहलाता है।
प्रत्याहार: इन्द्रियों को बाहरी विषयों से हटाकर आंतरिक विषयों में लगाने को प्रत्याहार कहते हैं।
धारणा: संसार की हर वस्तु को समान समझना धारणा कहलाता है।
ध्यान: मन की एकाग्रता।
समाधि: इस दौरान न व्यक्ति देखता है, न सूंघता है, न सुनता है व न स्पर्श करता है।
अष्टांग योग के फायदे
1. योग से मस्तिष्क शांत होता है जिससे तनाव कम होकर ब्लड प्रेशर, मोटापा और कोलेेस्ट्रॉल में कमी आती है।
2. मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
3. नर्वस सिस्टम में सुधार होता है।
4. शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत में इजाफा होता है। जिससे आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते।
5. आयुर्वेद और योग एक-दूसरे के पूरक- आयुर्वेद विज्ञान है और योग विज्ञान का अभ्यास, ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। योग और आयुर्वेद यह समझ विकसित करने में मदद करते हैं कि शरीर कैसे काम करता है और खानपान एवं दवाओं का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। रोजाना योग करने से शरीर के अंगों के काम करने की क्षमता में सुधार आता है। इससे शरीर में रक्त प्रवाह भी सुधरता है और तनाव दूर करने में मदद मिलती है।
Hindi News / Jabalpur / यम से समाधि तक, पतंजलि ने दिए योग के 8 नियम, ये हैं इसके फायदे