scriptAmavasya 2025 : सिद्ध दुर्लभ शिववास योग में होगा मौनी अमावस्या का व्रत पूजन और स्नान | Amavasya 2025: Mauni Amavasya will happen in Siddha Rare Shivavas Yoga | Patrika News
जबलपुर

Amavasya 2025 : सिद्ध दुर्लभ शिववास योग में होगा मौनी अमावस्या का व्रत पूजन और स्नान

Amavasya 2025 : सिद्ध दुर्लभ शिववास योग में होगा मौनी अमावस्या का व्रत पूजन और स्नान

जबलपुरJan 23, 2025 / 02:08 pm

Lalit kostha

Mauni Amavasya 2025
Amavasya 2025 : सनातन धर्म में माघ की मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं और पितरों का तर्पण करते हैं। इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी। इस तिथि पर श्रवण व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सिद्ध योग व दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस संयोग को स्नान दान और पितरों को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है। वहीं ग्रहों की दशाओं के आधार पर मौनी अमावस्या पर इस बार त्रिवेणी योग भी बन रहा है। ग्रहों के राजा सूर्य, मन के कारक चंद्रमा, राजकुमार बुध एक साथ मकर राशि में होंगे। इससे त्रिवेणी योग का निर्माण होगा।
Amavasya 2025

Amavasya 2025 : कृषि कार्य के लिए शुभफलदायी

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो त्रिवेणी योग कृषि कार्य के लिए शुभफलदायी होगा। योगों की इस युति में स्नान दान का फल कई गुना बढ़ जाएगा। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला के अनुसार माघ अमावस्या की शुरुआत 28 जनवरी को संध्याकाल 07.35 बजे शुरू होगी। समापन 29 जनवरी को शाम 06.05 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार, साधक 29 जनवरी के दिन मौनी अमावस्या मनाएंगे। स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा व दान-पुण्य करेंगे।
Amavasya 2025

Amavasya 2025 : नक्षत्र, योगों की युति शुभ

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शिववास का संयोग मौनी अमावस्या 29 जनवरी शाम 06.05 बजे तक है। मान्यतानुसार इस दिन भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इस दिन सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। सिद्धि योग का संयोग रात 09.22 बजे तक है। ज्योतिष सिद्धि योग को शुभ मानते हैं। मान्यता है कि इस योग में भगवान शिव की पूजा शुभफलदायी होती है। मौनी अमावस्या पर श्रवण एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। इन योगों के समागम में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
Amavasya 2025

Amavasya 2025 : पितरों को जलांजलि

मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर पितरों को जलांजलि देने से पितृकर्म में हुई भूलचूक के दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। इसलिए मौनी अमावस्या पर पितरों की पूजा की जाएगी। पितरों को जलांजलि देकर प्रसन्न करने के उपाय किए जाएंगे। पितृदोष निवारण के लिए पूजन व दान होगा। बताया गया कि नर्मदा किनारे पितृकर्म करने के लिए लोग उमड़ेंगे।

Hindi News / Jabalpur / Amavasya 2025 : सिद्ध दुर्लभ शिववास योग में होगा मौनी अमावस्या का व्रत पूजन और स्नान

ट्रेंडिंग वीडियो