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जबलपुर

धन्य हुई संस्कारधानी की धरा, 5वीं बार चातुर्मास के लिए पधारे मुनिराज विद्यासागर- देखें वीडियो

तिलवाराघाट पर अगवानी, सडक़ के दोनों ओर लगी भक्तों की कतार

जबलपुरJul 24, 2021 / 11:56 am

Lalit kostha

acharya vidyasagar maharaj

acharya vidyasagar maharaj

जबलपुर। संस्कारधानी की धरा धन्य हो गई। जबलपुर में पांचवीं बार चातुर्मास बिताने के लिए मुनिराज आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का शुक्रवार शाम ससंघ नगरागमन हुआ। तिलवाराघाट स्थित चरगवां मोड़ पर श्रद्धालुओं ने गुरुवर की आत्मीय अगवानी की। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के साथ मुनि निरोग सागर, मुनि निरामय सागर, मुनि निस्सीम सागर व मुनि शीतल सागर उनके संघ में हैं।

चिकित्सकों ने उतारी आरती
दोपहर दो बजे डगडगा से विहार के दौरान डॉ. पवन स्थापक एवं शहर के गणमान्य चिकित्सकों ने आचार्य श्री की आरती उतारी। महाराजश्री की अगवानी के लिए विधायक संजय यादव, विधायक विनय सक्सेना, पूर्व मंत्री शरद जैन, केंद्र सरकार पर्यटन मंत्रालय के सचिव राहुल जैन, तीर्थ क्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभात, मुंबई एवं सूरत से आए राजा भैया ने आचार्य श्री के दर्शन प्राप्त किए एवं आशीर्वाद लिया।

 

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने लिया आशीर्वाद
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल शनिवार सुबह आठ बजे आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दयोदय गोशाला पहुंचे। उन्होंने आचार्य श्री से आशीर्वाद लेकर देश खुशहाली की प्रार्थना की।

 

झलकियां

आचार्यश्री की अगवानी के लिए तिलवाराघाट पर आई महिला बैंड मंडली आकर्षण का केंद्र।
आचार्यश्री का संघ तिलवाराघाट पहुंचा, आसमान में छाए बादलों ने रिमझिम वर्षा के साथ गुरुवर का स्वागत किया।
तिलवाराघाट के दोनों नए पुलों के किनारे बड़ी संख्या में लोग गुरुवर की एक झलक पाने के लिए घंटों खड़े रहे।
दयोदय तीर्थ में प्रवेश के समय भक्तों को बाहर ही रोक दिया गया।

गर्मी, वर्षा के बीच 32 दिन की पदयात्रा
22 जून को आचार्यश्री विद्यासागर महाराज नेमावर से निकले, तो लक्ष्य एक था जबलपुर और दूरी 377 किमी। हर किसी के मन में आशंका थी कि चिलचिलाती धूप, दूर-दूर तक पानी का अता पता नहीं, ऐसे में लक्ष्य कैसे तय होगा? लेकिन गुरुदेव के कदम नेमावर से एक बार निकले तो शुक्रवार को प्रतिभास्थली दयोदय गोशाला जबलपुर में ही रुके। 32 दिन का सफर शुक्रवार शाम रुका। यह विहार संस्कारधानीवासियों के लिए यादगार बन जाएगा। आचार्यश्री की लगभग 75 वर्ष की आयु, 24 घंटे में एक बार आहार के बावजूद वे रोज 12 किमी का पैदल विहार करते रहे। राह में नसरुल्लागंज, रेहटी, बुधनी, बाबई, पिपरिया, गाडरवारा, करेली, नरसिंहपुर, गोटेगांव, जबलपुर इसके अलावा लगभग एक सैकड़ा छोटे बड़े गांव कस्बे सभी जगह लोग आचार्यश्री के दर्शन करने के लिए लालायित थे। कोरोना प्रोटोकॉल के चलते हर जगह गुरुदेव की एक झलक पाकर लोगों ने संतुष्टि के भाव बनाए।

 

सफेद, केशरिया वस्त्रों में खड़े थे लोग
आचार्यश्री के आगमन की सूचना के चलते दोपहर बाद से ही चरगवां रोड पर दर्शनार्थियों जुटने लगे थे। प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पुरुष वर्ग श्वेत तथा महिलाएं केशरिया रंग के वस्त्र धारण किए हुए सडक़ के दोनों ओर अनुशासित ढंग से खड़े होकर जयकारे लगा रहे थे। आचार्यश्री का मंगल प्रवेश जबलपुर पूर्णायु दयोदय तीर्थ तिलवाराघाट में संध्या 4.45 बजे हुआ। शुक्रवार को चरगवां बिछुआ से चलने के बाद आचार्य श्री की आहार चर्या महाराष्ट्र के नंदुरबार से पधारे श्रद्धालु परिवार के यहां सुबह डगडगा गांव में सम्पन्न हुई। रोहतक से आए विवेक जैन एवं अरविंद जैन ने आचार्य श्री को शास्त्र अर्पित किए।

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