नाम का खुलासा नहीं- रिपोर्ट में किसी कंपनी का नाम नहीं लिया गया है। लेकिन इतना जरूर कहा गया है कि इनमें से 27 में से 11 कंपनियों पर उनकी शेयर पूंजी के 100 फीसदी से ज्यादा कर्ज है। ऐसे में इन कंपनियों को लोन मिलने में भी मुश्किल का सामना कर पड़ सकती है। अगर लॉकडाउन और बढ़ा तो इन कंपनियों का पैसा गोडाउन में पड़े माल में फंसा रहेगा ।
इस रिपोर्ट में शामिल कंपनियों के पास अगले 5.5 माह के लिए अपने स्थायी परिचालन खर्चों, ब्याज और पारिश्रमिक देने भर को नकदी है लेकिन 20 कंपनियां ऐसी है जिनके पास 3 माह के लिए भी कैश नहीं है। दिक्कत इस बात की भी है कि इन कंपनियों को इसी पैसे से और भी देनदारियां चुकाई जानी है। ऐसे में अगर शेयरधारक चालू वित्त वर्ष में अपने निवेश का मूल्य बढ़ने (लाभांश) की अपेक्षा छोड़ भी दे । इसके बावजूद इन कंपनियों में सैलेरी कट होना जरूरी होगा।