अभी तक पेट्रोल-डीजल व जेट ईंधन बेचने के लिए जटिल नियम थे। केवल उन्ही कंपनियों को तेल मार्केटिंग और बिक्री की अनुमति होती थी, जिन्होंने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया है या निवेश का प्रस्ताव दिया है। लेकिन, तेल मंत्रालय के नये प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सऊदी अरामको, टोटल और ट्राफिगुरा जैसे विदेशी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की बिक्री का मौका मिल सकेगा।
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पैनल ने जारी किया रिपोर्ट
तेल मंत्रालय फिलहाल इस मामले में फाइनेंस, कॉमर्स और कानून मंत्रालय से बात करेगा। इस प्रस्ताव को तैयार करने से पहले एक पैनल का भी गठन किया गया था, जिसकी जिम्मेदारी साल 2002 के गाइडलाइन की समीक्षा करने की थी, जिसमें फ्यूल मार्केटिंग लाइसेंस संबंधित प्रावधान हैं।
पैनल ने अपने समीक्षा रिपोर्ट में कंपनियों को लाइसेंस देने के लिए न्यूनतम निवेश का पक्ष रखा है। साथ ही इन कंपनियों को कम नेटवर्थ होने पर भी लाइसेंस देने की सिफारिश की है। पैनल ने अपने सिफारिश में यह भी कहा है कि उन कंपनियों को भी मौका देना चाहिये जो तेल का कारोबार नहीं करती हैं। इसके लिए उन्हें पेट्रोल पंप बनाने के लिए तय टाइमलाइन दी जारी चाहिये। यदि वो ऐसा नहीं करती हैं तो इसके लिए उनपर पेनाल्टी भी लगाए जाने का प्रावधान हो।
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विदेशी कंपनियों को मिलेगा घरेलू बाजार में मौका
अभी तक भारतीय ईंधन बाजार में विदेशी तेल कंपनियों के लिए सबसे बड़ी परेशानी न्यूनतम निवेश की थी। वित्त पर्ष 2018-19 के दौरान, देश में पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन की मांग में क्रमश: 8 फीसदी, 3 फीसदी और 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
बता दें कि सऊदी अरामको मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज में कुछ हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में है। वहीं, पिछले साल ही भारत ने ट्राफिगुरा द्वारा मांगे गये फ्यूल मार्केटिंग लाइसेंस को खारिज कर दिया था। टोटल ने अडानी ग्रुप के साथ एनर्जी बिजनेस के लिए पार्टनरशिप किया। हालांकि, इस कंपनी ने अभी तक मार्केटिंग लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया है।
नए नियम के लागू होने के बाद सुपरमार्केट में भी पेट्रोल-डीजल मिलने के लिए रास्ता साफ हो जायेगा। साथ ही, सुपरमार्केट के रिवेन्यू में भी इजाफा हो सकेगा। हालांकि, इन सुपरमार्केट्स को सुरक्षा मोर्चे पर बेहतरीन व्यवस्था सुनिश्चित करना भी एक बड़ी जिम्मेदारी होगी।
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ब्रिटेन में पहले से है यह सुविधा
ब्रिटेन में यह योजना पहले ही लागू है और सफल भी है। ब्रिटिश सुपरमार्केट में पेट्रोल और डीजल पहले ही बिकता है। ब्रिटेन की संस्था पेट्रोल रिटेलर्स एसोसिएशन के अनुसार, अप्रैल में देश में पेट्रोल की कुल बिक्री में सुपरमार्केट की हिस्सेदारी करीब 49 फीसदी थी और डीजल की बिक्री में उसका 43 फीसदी योगदान था।