कोरोना की संजीवनी Hydroxychloroquine, क्या भारत का नया रणनीतिक हथियार है ?
इस रिसर्च के लिए 53 मरीज जिन्हें गंभीर कोरोना था उनके ऊपर इस दावा का इस्तेमाल किया गया और नतीजे चौंकाने वाले थे क्योंकि 53 में से 36 मरीजों की हालत में न सिर्फ सुधार हुआ बल्कि उन्हें वेंटीलेटर और ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हो गई। मरीजों को 10 दिन तक यह दवा दी गई थी। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ उन लोगों के ऊपर किया गया है जिन्हें 90 फीसदी से ज्यादा वेंटीलेटर और ऑक्सीजन की ज़रूरत थी।
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भारत में नही है ये दवा- पूरी दुनिया में सिर्प गिलियार्ड कंपनी है जो कि इस दवा का निर्माण करती है । आखिरी बार इस दवा का इस्तेमाल इबोला पर किया गया था।। फिलहाल इस दवा का उत्पादन सिर्फ गिलियार्ड कंपनी करती है और भारत में ये दवा उपलब्ध ही नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर आईसीएमआर ( ICMR ) जो ट्रायल कर रहा है उसमें रेमेडिसिविर भी शामिल है। लेकिन अभी तक भारत में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है लेकिन WHO के साथ होने वाले रिसर्च में अगर चीजें सकारात्मक आती है तो भारत में इस दवा का उत्पादन किया जा सकता है।
Hydroxychloroquine से किया जा रहा है इलाज- अगर ऐसा होता है तो कोरोना के इलाज में आसानी होगी क्योंकि अभी तक कोरोना के लिए hydroxychloroquine का इस्तेमाल हो रहा था और इस दवा को कई देश भारत से मांग चुके हैं।