SIP छोटा निवेश बड़ा फायदा (SBI Mutual Fund)
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की खास बात यह है कि इसमें एसआईपी के जरिए छोटे-छोटे निवेशों से बड़ा फंड बनाया जा सकता है। एसआईपी की प्रक्रिया नियमित रूप से छोटी रकम को निवेशित करती है, जो लंबे समय में चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ देती है। इसका असर यह होता है कि छोटी रकम बड़े फंड में तब्दील हो जाती है।एसबीआई हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड की सफलता कहानी
ऐसा ही एक म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) है एसबीआई हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड। यह फंड 5 जुलाई 1999 को लॉन्च हुआ था और तब से अब तक इसने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। अगर किसी ने इस फंड में 25 साल पहले सिर्फ 2500 रुपये की मासिक एसआईपी शुरू की होती, तो आज उनके पास करीब 1.18 करोड़ रुपये का फंड होता।कैसे बना करोड़पति?
इस फंड ने लॉन्च होने के बाद से औसतन 18.27% का सालाना रिटर्न दिया है। 25 सालों तक हर महीने 2500 रुपये की एसआईपी करने पर कुल 7.50 लाख रुपये निवेश किए गए। बाकी रकम, यानी लगभग 1.10 करोड़ रुपये, ब्याज के रूप में मिली।फंड की खासियत और पोर्टफोलियो
एसबीआई हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड (SBI Mutual Fund Investment) का पोर्टफोलियो मुख्य रूप से हेल्थकेयर सेक्टर में है, जो इसका 93.23% हिस्सा है। इसके अलावा, इसमें केमिकल और मटेरियल सेक्टर में भी निवेश है, जो क्रमश 3.50% है। हालांकि, यह फंड उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आता है, लेकिन इसके रिटर्न्स ने इस जोखिम को सार्थक बनाया है।लंपसम निवेश में भी छप्परफाड़ रिटर्न
इस फंड ने लंपसम निवेशकों को भी निराश नहीं किया है। अगर किसी ने लॉन्च के समय 1 लाख रुपये का लंपसम निवेश किया होता, तो आज उसकी वैल्यू करीब 55 लाख रुपये होती। इस दौरान फंड ने औसतन 17.12% का सालाना रिटर्न दिया है।म्यूचुअल फंड क्यों हैं बेहतर?
म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund Investment) खासतौर पर उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जो शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं। यह फंड लंबी अवधि में चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ देते हैं, जिससे छोटे निवेश भी बड़े फंड में तब्दील हो जाते हैं। खासतौर पर उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जो शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं। यह फंड लंबी अवधि में चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ देते हैं, जिससे छोटे निवेश भी बड़े फंड में तब्दील हो जाते हैं।क्या ध्यान रखें निवेशक?
हालांकि, निवेश से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।रिस्क फैक्टर: म्यूचुअल फंड की कैटेगरी के हिसाब से रिस्क को समझें।
लॉन्ग टर्म प्लान: लंबे समय के लिए निवेश करने से अधिक लाभ मिलता है।
एक्सपर्ट की सलाह: किसी भी निवेश निर्णय से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लें।