ताज को सजाने और संवारने में खूब मेहनत की और उन्होंने 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा खर्च कर दिए। दुनिया के तमाम सेलीब्रिटीज को बुलाकर उसकी नुमाइश की। ताज को वो रसूख दिलाना ट्रंप के लिए कभी आसान नहीं रहा। जिसकी वजह से डोनाल्ड ट्रंप को बैंक्रप्ट होना पड़ा।
शायद आप इस कहानी में खो गए हैं और अब सच्चाई की तरफ मुड़ जरूरी हो गया है। बात ऐसी है कि यहां बात आगरा के ताजमहल की नहीं हो रही है। बल्कि अटलांटा में मौजूद ताज कसीनो एंड होटल की हो रही है। जिसे ट्रंप ने दो बार खरीदा और दोनों ही बार बैंक्रप्ट होना पड़ा। आज इस बात का जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि 24 फरवरी को अमरीकी राष्ट्रपति सच से रूबरू होकर दुनिया का 7वां अजूबा ताजमहल को देखने के लिए आगरा आएंगे।
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ताजमहल के डिजाइन का बनवाया था कसीनो
ट्रंप ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर कितनी मेहनत की होगी इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि उन्होंने 19 एकड़ में फैले होटल और कसीनो में 12000 से ज्यादा कमरे बनवाए थे। इस होटल में 242 स्वीट थे। साथ ही हैलीपैड भी बनवाया था। ट्रंप ने इसकी भव्यता को ध्यान में रखते हुए मुगल आर्किटेक्ट के हिसाब से कलर और पेंट कराया था। दीवारों पर व्हाइट एंड गोल्ड कलर का यूज किया गया था। मिनारे और गुबंदें हूबहू ताजमहल की तरह बनवाई गई थीं।
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जब पहली बार हुआ ताज होटल हुआ दिवालिया
ट्रंप की किस्मत कुछ और कहानी लिख रही थी। सपना था दुनिया का आठवां अजूबा बनाने का और हो कुछ और गया। एक साल के बाद कसीनो और होटल को कई आर्थिक परेशानियों ने घेर लिया और बाद में बैंक्रप्ट हो गया। यह पहला मौका था जब ट्रंप के ड्रीम प्रोजेक्ट को गहरा झटका लगा था और बिजनेस पूरी तरह से बैंक्रप्ट हो गया। बाद में ट्रंप ने अपने इस बिजनेस का 50 फीसदी हिस्सा बेच दिया। क्या ट्रंप ने अपने अधूरा छोड़ दिया? नहीं, शायद इसे ही जिद या सनक कहते हैं। वर्ष 1995 में डोनाल्ड ट्रंन ने बार फिर से कोशिश की और ट्रंप होटल्स एंड कसीनो रिसॉर्ट की शुरुआत की। उसके एक साल के बाद यानी 1996 में ताज कसीनो को फिर से अपने नाम कर लिया। फिर क्या था 13 सालों तक इस कंपनी को चलाया, फिर कहानी फिर वही 13 पुरानी सामने आ गई। कंपनी फिर से बैंक्रप्ट हो गई और ट्रंप को बाद में इसे एवेन्यू कैपिटल मैनेजमेंट को बेचना।
आज फिर से ताज का जिक्र क्यों?
आज हम अमरीकी राष्ट्रपति और उनके ड्रीम प्रोजेक्ट का जिक्र क्यों कर रहे हैं? क्योंकि जिस ताज के बारे में सोचकर उन्होंने दुनिया का आठवां अजूबा बनाने का सपना देखा था, आज उसी असलियत के ताज को देखने को देखने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति 24 फरवरी को आगरा में होंगे। जिनके स्वगात के पूरे आगरा को दुल्हन की तरह सजाया जा जा रहा है। रास्ते की दीवारों पर ‘नमस्ते ट्रंप’ लिखा जा रहा है।