मालूम हो, इंदौर उत्थान अभियान और अभ्यास मंडल के सदस्य मास्टर प्लान-2035 को बनाने में नागरिक विजन को शामिल करने व विसंगतियां दूर करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए शहर में पैदल मार्च निकालने का ऐलान किया था। नागरिक असंतोष को देखकर शासन बातचीत के लिए तैयार हुआ। इसी क्रम में संस्थान के सदस्यों को प्रमुख सचिव नगरीय आवास मनीष सिंह ने चर्चा के लिए भोपाल बुलाया था। संस्था की ओर से 20 सदस्यीय दल के साथ प्रमुख सचिव ने करीब 2 घंटे चर्चा कर विसंगतियों की जानकारी ली। विशेषज्ञ अजीतसिंह नारंग ने बताया, इंदौर तेजी से टीयर वन सिटी की ओर बढ़ रहा है। इसके नवनिर्माण के लिए पुराने मास्टर प्लान में कुछ संशोधन से बात नहीं बनेगी। इसे नए सिरे से तैयार करना होगा। विकास क्षेत्र बढ़ाना होगा, जिससे महानगरीय कल्चर का विकास हो सके। 2035 का प्लान मेगा सिटी के अनुरूप होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि प्लान में आधुनिक शहर के सिद्धांतों को शामिल किया जाए। बैठक में शिवाजी मोहिते, एसएल गर्ग, एसएस कुटुंबले, गोविंद मालू, अजयसिंह नरूका, गौतम कोठारी, महेश राजवैद्य, महेश गुप्ता, दर्शन कटारिया आदि मौजूद थे।
विचार के लिए रखे ये तथ्य महानगर विकास समिति बने: महानगर बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है, इसलिए आसपास के जिलों के मास्टर प्लान मर्जर व विकास के लिए महानगर विकास समिति बनाएं।समान वितरण का सिद्धांत: प्लान की विसंगतियां समाप्त की जाएं। हरियाली का संवितरण और लैंड यूज तय करने से खेलकूद, आमोद-प्रमोद, व्यावसायिक आदि गतिविधियों का समान रूप से क्रियान्वयन हो सकेगा।
मिश्रित या फ्री लैंड यूज किया जाए: मास्टर प्लान में रिजिड लैंड यूज के स्थान पर फ्री या मिक्स लैंड यूज का सिद्धांत अपनाया जाए। इससे विकसित हो रहे क्षेत्रों में समय की जरूरत के साथ लैंड यूज तय किया जा सकेगा।
विशेषज्ञों की नियुक्ति: जल प्रबंधन, पर्यावरण, भूमि प्रबंधन, ट्रैफिक जैसे विषयों पर विशेषज्ञों की सलाहकार समिति बनाएं। इसमें शहर के विशेषज्ञों को शामिल करें और इनकी राय से योजना और नियम बनाएं। टीडीआर-टीओडी विकास: ट्रांजिट ओरिएंटेड विकास की नीति को प्रमुखता से लागू करें, जिससे विकास कार्य में परेशानी न आए।