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सांसद, विधायकों को एक से अधिक पेंशन क्यों – हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से किया जवाब-तलब, एमपी हाईकोर्ट जबलपुर में 120 दिन बाद हुई भौतिक सुनवाई।

इंदौरAug 10, 2021 / 08:59 am

Hitendra Sharma

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इंदौर. विधायक, सांसद और मंत्रियों को एक अधिक पेंशन मिलने के नियम में बदलाव की मांग करते हुए इंदौर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। जस्टिस सुजोय पॉल और अनिल वर्मा की पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस देकर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

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कोर्ट ने पूछा कि जब सरकार से जुड़े अन्य सभी विभागों में एक व्यक्ति को एक ही पेंशन दी जाती है तो फिर विधायक, सांसदों और मंत्रियों को एक से अधिक पेंशन क्‍यों? इसके क्या नियम बनाए हैं। शासन की ओर से याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की प्रति पेश की गई थी, लेकिन कोर्ट ने उसे अलग मुद्‌दा माना।

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हाईकोर्ट ने नोटिस में केंद्र के विधि -मंत्रालय, लोकसभा सचिव, मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव और मप्र के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि नेताओं को एक दिन का विधायक-सांसद बनने पर भी पेंशन की पात्रता है। विधायक-सांसद के मंत्री बनने पर मंत्री की पेंशन भी मिलती है।
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देश के विधायक, सांसद एवं मंत्रियों को एक अधिक पेंशन मिलने से जुड़े नियम में बदलाव की मांग करते हुए इंदौर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता का कहना है जब देश में चपरासी से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक को सिर्फ एक पेंशन मिलती है तो फिर सांसद, विधायक और मंत्रियों को एक से अधिक पेंशन देने का नियम क्यों है।

हालिया नियम के मुताबिक यदि कोई विधायक के बाद सांसद भी बन जाए तो उसे विधायक और सांसद का वेतन और भत्ता भी मिलता है। इसी तरह राज्यसभा सांसद चुने जाने और केंद्रीय मंत्री बन जाने पर मंत्री का वेतन-भत्ता और विधायक-सांसद की पेंशन भी मिलती है, जबकि सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को एक ही पेंशन मिलती है। वहीं, नेताओं को एक दिन का विधायक या सांसद बनने पर भी एक से अधिक पेंशन की पात्रता होती है।

एडवोकेट पूर्वा जैन के माध्यम से दायर याचिका में मांग कि गई है कि संविधान के मुताबिक समानता के अधिकार के कानून का पालन हो। जनप्रतिनिधियों की पेंशन के लिए भी शासकीय सेवकों की तरह गाइडलाइन बनाई जाए। कम से कम पांच साल का कार्यकाल अनिवार्य किया जाए।

साथ ही वे अंत में जिस पद पर रहें, उसी की पेंशन उन्हें मिले। मंत्री या निगम-मंडल में अन्य सरकारी पदों पर रहते हुए वेतन के साथ पुराने पदों की पेंशन नहीं दी जाए, क्योंकि सरकार ने मार्च 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों की पेंशन ही बंद कर दी है।

हाईकोर्ट में 120 दिन बाद भौतिक सुनवाई
वही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में 120 दिन बाद सोमवार से भौतिक सुनवाई शुरू हो गई। पहले दिन तीनों बेंचों में सुनवाई की गई। मुख्यपीठ जबलपुर में सुनवाई के लिए लगे आधे से कम मामलों की भौतिक सुनवाई की गई। शेष मामलों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई। इस दौरान केवल उन्हीं वकीलों को कोर्ट रूम के प्रवेश दिया गया, जिनके मामलों में सुनवाई होनी थी। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए 7 अप्रेल को भौतिक सुनवाई बंद कर दी गई थी।

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