must read :
मलेरिया से जवान प्लाटून कमांडर की मौत, 16 जनवरी को थी शादी, घर में पसरा मातम सरकारी धर्मस्थलों की जमीनों पर कब्जों को लेकर सरकार का चिंतित होना लाजमी है। ऐसा इंदौर ही नहीं, पूरे प्रदेश में हो रहा है। कहीं पुजारी तो कहीं वक्फ कमेटी में बैठे चंद कलाकारों ने जमीन लीज पर देने या खरीद-फरोख्त कर ठिकाने लगाने का काम किया। बाद में कोर्ट में केस चलता रहा, जिसमें सरकार के नुमाइंदों की लापरवाही से सरकार को हार का मुंह भी देखना पड़ा। इंदौर में ही ऐसे एक दर्जन से अधिक मंदिरों के मामले हैं, जिसमें सरकार को मुंह की खानी पड़ी या ये कह सकते हैं कि अफसरों की साठ-गांठ के चलते कोर्ट में आंख बंद कर ली गईं। जब प्रदेश में मंदिर की सैकड़ों एकड़ जमीन लुट गई, तब सरकार जिला प्रशासन को पत्र लिखती रही। एक बार फिर ऐसी ही कसरत प्रदेश अध्यात्म विभाग ने शुरू की।
must read :
अंतरराष्ट्रीय आकाश में दमका इंदौर, विंटर सीजन में बढ़ी कनेक्टिविटी, बैंकॉक-सिंगापुर फ्लाइट भी जल्द होगी शुरू हाल ही में उप सचिव किरण मिश्रा ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। कहा है कि जिले में पंजीकृत धार्मिक संस्थाओं यानी मंदिर, दरगाह, चर्च और गुरुद्वारा की जानकारी दी जाए। जिनमें कलेक्टर प्रबंधक हों, उनकी सूची अलग से बनाई जाए। साथ में ये भी बताया जाए कि कलेक्टर के प्रबंधन होने के अलावा जमीन पर कब्जा तो नहीं है। पत्र के बाद कलेक्टर लोकेश जाटव ने रिपोर्ट को समयसीमा में जारी करने के निर्देश जारी कर दिए। साथ में सभी तहसीलों को नोटिस जारी करके रिपोर्ट मांग ली।