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बटन दबाते ही हुआ बड़ा विस्फोट, लगा कुछ सेकंड के लिए धरती ऊपर उठी

Pokhran nuclear test : 1974 में भारत के परमाणु कार्यक्रम को डॉ. राजा रामन्ना लीड कर रहे थे। पोखरण-1 के लिए करीब 200 लोगों की टीम काम रही थी, जिसका मैं भी हिस्सा था। इस परीक्षण के लिए हम टेंट में बैठे हुए थे। जानिए पूरी कहानी…

इंदौरJan 25, 2025 / 11:14 am

Avantika Pandey

Pokhran nuclear test

Pokhran nuclear test

Pokhran Nuclear Test : 1974 में भारत के परमाणु कार्यक्रम को डॉ. राजा रामन्ना लीड कर रहे थे। पोखरण-1 के लिए करीब 200 लोगों की टीम काम रही थी, जिसका मैं भी हिस्सा था। इस परीक्षण के लिए हम टेंट में बैठे हुए थे। कोई नहीं जानता था कि अगले पल क्या होने वाला है। जैसे ही बटन दबा, एक बड़ा विस्फोट(Pokhran Nuclear Test) हुआ। ऐसा लगा धरती कुछ सेकंड के लिए ऊपर उठी हो और वापस आई हो।
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यह बात विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव और डॉ. राजा रामन्ना के शिष्य पद्म भूषण डॉ. वीएस राममूर्ति ने कही। वे शुक्रवार को राजा रामन्ना सेंटर फॉर एडवांस टेक्नोलॉजी (आरआर कैट) में वैज्ञानिक डॉ. राजा रामन्ना की जन्म शताब्दी के मौके पर आयोजित व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि परमाणु परीक्षण(Pokhran Nuclear Test) पर फिल्म भी बनी है, जिसमें मिसाइल लॉन्च होते समय बड़ी मात्रा में गैस और आग निकलने का दृश्य दिखाया है। हकीकत में ऐसा नहीं होता है।
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डॉ. राममूर्ति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद विकास की दौड़ शुरू करने वाला भारत आज भी अपने साथी देशों से पीछे है। इसका मतलब यह नहीं कि हम काम नहीं कर रहे या हमारे यहां टैलेंट की कमी है, बल्कि हमारे यहां काम करने वालों की संख्या कम है। इसका सबसे बड़ा कारण शैक्षणिक संस्थान हैं। यदि भारत को विश्व का नेतृत्व करना है तो उसे शैक्षणिक संस्थानों में इनवेस्ट करना होगा।

भारत के वैज्ञानिक कर रहे अच्छा काम

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डॉ. राममूर्ति ने कहा कि टेक्नोलॉजी और विज्ञान के क्षेत्र में भारत अभी पीछे है। भारत के वैज्ञानिक बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। उनके पास कई बड़े प्रोजेक्ट्स हैं। वैश्विक स्तर पर चल रहे कई प्रोजेक्ट्स में हमारे वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है, लेकिन अब भी कुछ बिंदुओं पर सुधार की जरूरत है। जनसंख्या की तुलना में हमारे पास मैन पॉवर कम है। वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाने के लिए हमें शैक्षणिक संस्थानों की संख्या बढ़ानी होगी, क्योंकि इसी से युवाओं की विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ेगी।

चीन में एक मिलियन लोगों पर 500 वैज्ञानिक

उन्होंने बताया कि चीन और भारत एक ही समय आजाद हुए थे। दोनों देशों ने 1950 से विकास की दौड़ शुरू की। 1990 तक दोनों देशों की जीडीपी एक जैसी रही। उस समय दोनों देशों के पास एक मिलियन लोगों पर 200 वैज्ञानिक थे। साल 2000 से चीन ने तेजी से वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ानी शुरू की। 25 साल बाद चीन आज अमरीका को टक्कर दे रहा है। वहां एक मिलियन लोगों पर 500 वैज्ञानिक हैं, लेकिन हमारी स्थिति पहले जैसी ही है। इसका कारण शैक्षणिक व अनुसंधान क्षेत्र में निवेश नहीं होना है।

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