आइडीए की स्कीम 171 में न्यायनगर, मजदूर पंचायत सहित देवी अहिल्या संस्था की जमीन भी शामिल थी। संस्था ने इस जमीन पर कॉलोनी का कोई नक्शा भी पास नहीं कराया था। लेकिन संस्था ने यहां पर अपने स्तर पर एक नक्शा बनाकर सदस्यों के प्लॉट आवंटित जरूर कर दिए थे। इसके हिसाब से ही संस्था के सदस्यों को रजिस्ट्री भी कर दी गई थी। वहीं जमीन आइडीए में जाने के कारण उन पर कब्जा संस्था सदस्यों को नहीं दे पा रही थी। बरसों से सदस्य अपनी ही जमीन के लिए परेशान हो रहे थे। लेकिन डेढ़ साल पहले जिला प्रशासन ने परेशान हो रहे सदस्यों को राहत दिलाने के लिए सदस्यों को उनकी जमीन पर कब्जा दिलाया था। हालांकि प्रशासन ने पहले ही साफ कर दिया था कि यहां पर निर्माण विधिवत अनुमति लेने के बाद ही किया जाए। लेकिन अब संस्था के संचालकों ने दूसरा खेल शुरू कर दिया है। संस्था के संचालक यहां अवैध कॉलोनी बसाने पर लगे हैं। संस्था के संचालक सदस्यों को यहां पर मकान बनाने के लिए बोल रहे हैं। सोशल मीडिया पर संस्था के ग्रुप बने हुए हैं। उन पर बकायदा सदस्यों को जल्द से जल्द निर्माण कराने के लिए कहा जा रहा है। इसके लिए दलील दी जा रही है कि वे मकान बनाएंगे तो उसके बाद ही जमीन को आइडीए से मुक्त कराने के साथ ही संस्था की कॉलोनी को वैध किया जा सकेगा। इसके चलते कई लोगों ने यहां मकान बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। जबकि यहां पर प्रशासन ने केवल जमीन का कब्जा दिलाया था।
हो सकती है बड़ी दिक्कत यदि कब्जे के आधार पर ही संस्थाओं की कॉलोनियां नियमित हुई तो सबसे ज्यादा परेशानी न्यायनगर के सदस्यों को होगी। दरअसल इस संस्था की जमीन पर कई लोगों ने कब्जा कर अवैध कॉलोनियां बसा ली है। जो कि संस्था सदस्यों के प्लॉट पर हैं। ऐसे में सदस्यों को उनकी जमीन से हाथ धोना पड़ेगा।
10 साल की है सजा का प्रावधान निगम एक्ट की धारा 292 के तहत अवैध कॉलोनी का निर्माण करना दंडनीय अपराध है। एक्ट में इसके लिए अवैध कॉलोनी में मकान बनाने वाले, बसाने वालों को 10 साल की सजा का प्रावधान है। वहीं अवैध कॉलोनी पर कार्रवाई नहीं करने वाले अफसरों को 7 साल की सजा का प्रावधान है। वहीं सहकारिता नियमों के तहत भी अवैध कॉलोनी बसाना नियम विरूद्ध है। इसके लिए संस्था संचालकों पर कार्रवाई का प्रावधान है।
आइडीए ने दिया था फार्मूला दरअसल इस जमीन को स्कीम से मुक्त कराने के लिए आइडीए ने पूर्व में एक फैसला लिया था। जिसमें आइडीए ने जमीन को मुक्त करने के लिए अभी तक उसका इस योजना पर खर्च हुआ पैसा आइडीए को लौटाने के लिए संस्थाओं को कहा था। उसके बाद ही कॉलोनी को वैध किया जा सकता था। लेकिन संचालकों ने अभी तक आइडीए को पैसा जमा नहीं कराया है। और बगैर जमीन मुक्त कराए ही निर्माण कराना शुरू कर दिया है।
– अवैध कॉलोनी बसाना नियमों के खिलाफ है। यदि संस्था संचालकों द्वारा गलत तरीके से निर्माण कराया जा रहा है तो हम उसकी जांच कराने के बाद संस्था पर कार्रवाई करेंगे। – एमएल गजभिए, उपायुक्त सहकारिता