इसके बाद भी तीसरी संतान के लिए गर्भ धारण किया। इसी तरह 4 हजार दंपती ऐसे हैं, जिनके परिवार में 2 या ज्यादा बेटे हैं। यह संख्या शहर में गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने वाले दंपतियों की संख्या का लगभग 12-15% है। विशेषज्ञों का कहना है, इस विश्लेषण से शहर में भ्रूण परीक्षण के मामलों पर भी निगरानी हो रही है। सरकार ने लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए भूण परीक्षण पर निगरानी के लिए कानून बनाया है। इसके तहत शहर के सोनोग्राफी सेंटर्स की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा रही है।
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एक्ट के तहत गठित समिति में अब तक के आंकड़ों का विश्लेषण बहुत ही चौंकाने वाला है। समिति के सदस्य डॉ. मुकेश सिन्हा का कहना है कि शहर में गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी के लिए एफ फॉर्म अनिवार्य है। इसमें एक कॉलम में संतान की संख्या की जानकारी भी ली जा रही है। देखने में आया है, दो संतानों के बाद भी महिलाएं गर्भधारण कर रही हैं।
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समिति इन पर और इनके सोनोग्राफी सेंटर्स पर पूरी नजर रख रही है, क्योंकि इनमें ऐसी ज्यादा हैं, जिनकी दो बेटियां हैं। तीसरा गर्भधारण पुत्र की चाहत में किया जाता है, इसलिए इन मामलों पर विशेष निगरानी रखी जाती है, क्योंकि इन्ही में भ्रूण परीक्षण की आशंका भी ज्यादा रहती है। इस साल अब तक 1.89 लाख फॉर्म मिले, समिति की एक सदस्य के अनुसार शहर में हर साल एफ-फॉर्म की जानकारी के अनुसार 80-90 हजार महिलाएं गर्भवती होती हैं।
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इस साल अब तंक 1.89 लाख फॉर्म मिले हैं। बीते दो-तीन साल से देखने में आ रहा है कि दो बेटियां होने के बाद भी महिलाएं गर्भधारण करती हैं, इसे निरंतर रखती हैं। 30 साल से ऊपर की संख्या भी बढ़ी है 8 महीने में 189 लाख फॉर्म आए हैं। इनमें 30-35 वर्ष वालों की संख्या 34 हजार के आसपास है।
एफ फार्म के अनुसार
पहला बच्चा | 103245 |
दूसरा बच्चा | 29732 |
सिर्फ एक बेटी | 32913 |
दो या ज्यादा बेटी | 13700 |
2 या ज्यादा बेटे | 4000 |