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एक साल में बेगर फ्री सिटी बनेगा इंदौर
शहर को बेगर फ्री सिटी बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अभियान स्तर पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए इंदौर निगम कमिश्रनर को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। इंदौर के कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव के मुताबिक, भिक्षावृत्ति एक प्रकार का अभिशाप है। इसमें जनजागरूकता से संबंधित कार्य करने की आवश्यक्ता है, ताकि लोग इसे बढ़ावा ना दें। उन्होंने बताया कि, इस अभियान को शुरु करने को लेकर काम शुरु कर दिया गया है। इसी वित्त वर्ष के मार्च तक इससे संबंधित कार्ययोजना तैयार कर ली जाएगी। साथ ही, इसे नगर निगम द्वारा लक्ष्य स्वरूप किया जाएगा। अब तक की चर्चा में तय किया गया है कि, शहर को अगले वित्तीय वर्ष के अंत यानी मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यानी 2021 के अप्रैल माह से अगर शहर में आपको भिखारी न नजर आए तो चौकियेगा नहीं क्योंकि, ये इंदौर की एक और उपलब्धी का नतीजा होगा।
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इस तरह शहर होगा भिखारी मुक्त
इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने का उद्देश्य ये नहीं कि, यहां से भिखारियों को भगाया जाएगा या उन्हें किसी स्थान पर इकट्ठा करके रख लिया जाएगा, बल्कि शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए अभियान स्वरूप भिक्षा मांगने वालों को सबसे पहले जागरुक किा जाएगा, फिर उनके लिए आजीविका के संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली व्यक्तिगत संस्थाओं की मदद ली जाएगी, ताकि हर भिखारी को उसकी दक्षता के अनुसार के आधार पर काम मिल सके और वो भीख मांगने के बजाय काम करके अपनी आजीवका चलाए। इंदौर मेयर मालिनी गौड़ के मुताबिक, भीख मांगना अपराध है और शहर में हर क्षेत्र में काम के कई स्त्रोत हैं। इसलिए भीख मांगना कोई उचित बात नहीं है। इसलिए शहर के सभी भिखारियों को सूचीबद्ध कर काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। फिर उनकी दक्षता और योग्यता के आधार पर उन्हें काम के अवसर प्रदान किये जाएंगे।
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इंदौर शहर में 4 हजार से ज्यादा भिखारी
निगम द्वारा जुटाए आंकड़ों की माने तो शहर में फिलहाल 4 हजार से अधिक भिखारी भिक्षा मांगकर आजीविका चला रहे हैं, जो अलग-अलग तरीके से भीख मांगते हैं। यही नहीं यहां आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग भीख मांगने आते हैं। खासतौर पर शनिवार को भीख मांगने वालों की संख्या में ज्यादा इजाफा हो जा ता है। शहर में कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां शनिवार की सुबह बाल्टी, शनि की प्रतिमा और सरसों का तेल किराए पर मिल जाता है। शहर समेत बाहर से आए हुए ये लोग दिनभर भीख मांगते है, वापस लौटते समय बाल्टी, शनि प्रतिमा और सरसों तेल को वापस जमा करके उसका किराया देकर चले जाते हैं। जांच में तो यहां तक सामने आया कि, कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो सप्ताहभर कोई और काम करते हैं, लेकिन शनिवार को ये सामान किरायपर लेकर शनि के नाम पर भिक्षा मांगते हैं। ऐसे संगठित गिरोह चलाने वाले लोगों की पहचान की जा रही है। जल्द ही उनपर कार्रवाई की जाएगी।
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मस्ती की पाठशाला कर रही जागरुक
मस्ती की पाठशालाभिखारियों के काम करने वाले आस संगठन के डायरेक्टर वसीम इकबाल का कहना है कि भिक्षावृत्ति का मुख्य कारण सरकार की वेलफेयर स्कीमों का जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाना है. इसलिए बच्चों को इस पेशे से दूर करने लिए वे शहर के अलग-अलग हिस्सों में पांच मस्ती की पाठशालाएं चला रहे हैं, जिसमें भीख मांगने वाले बच्चे पढ़ते हैं और इनमें से कई बच्चे चेंज एजेंट तक बन गए हैं जो दूसरे बच्चों को भी भीख मांगने के लिए प्रेरित करके उन्हें पढ़ना लिखना छुड़ाकर इस काम में लगा लेते हैं।