आश्चर्य होता है, हम आज तक अकोला-
अजमेर के इंदौर-खंडवा हिस्से में घाट सेक्शन की डिजाइन का फैसला नहीं ले सके। इसी रेल मार्ग के इतिहास को देखें तो आंखें खुल जाएंगी। इंदौर से खंडवा रेल मार्ग होलकर ने 1 करोड़ रुपए देकर 1870 में बनवाना शुरू किया था। उन्होंने इसे पांच साल में पूरा कर 1876 में रेल यातायात प्रारंभ करवा दिया। जबकि इसके गेज परिवर्तन के लिए 10 साल से संघर्ष किया जा रहा है। सवाल है कि क्या उस समय रेलवे लाइन की परिस्थितियां अलग थीं? क्या उस समय पहाड़ नहीं थे? इसी तरह इंदौर-धार परियोजना के हालात हैं। कन्सल्टेंट द्वारा डिजाइन तैयार करवाने के बाद 18 माह हो गए। टीही टनल का काम शुरू नहीं हो सका है। सभी की समय सीमा कई बार निकल चुकी है। लागत बढ़ रही है।
इंदौर-धार-दाहोद रेलमार्गपरियोजना : इंदौर से दाहोद तक बनने वाले इस रेल मार्ग की लंबाई 200 किमी है। इसकी आधारशिला 2008 में प्रधान
मंत्री मनमोहन सिंह ने रखी थी। इसे 2012-13 तक पूर्ण करने का संकल्प लिया था।
फायदा : इस रेल मार्ग के बनने से मप्र व गुजरात का सफर आसान होगा। मुंबई पहुंचने का भी नया मार्ग मिल जाएगा।
वस्तुस्थिति : इसका अलग-अलग मोर्चे पर काम शुरू है।
भाग-1 में इंदौर से धार का हिस्सा बन रहा है। अभी तक पटरी पीथमपुर तक भी नहीं पहुंची है। टीही क्षेत्र में 2800 मीटर लंबी टनल का निर्माण होना है। इसके लिए डिजाइन बन गई, लेकिन टेंडर नहीं हो सके।
भाग-2 में धार से दाहोद के बीच का हिस्सा बनना है। इसमें भूमि अधिग्रहण का काम ही पूरा नहीं हो सका है। धार से तिरला, अमजेरा से सरदारपुर के लिए भूमि अधिग्रहण अब जाकर शुरू हुआ है। राजगढ़ से झाबुआ के बीच 60 किमी हिस्से में अभी कुछ भी नहीं हो सका। इस हिस्से में 8 टनल बनना है। आश्वासन दिए जा रहे हैं।
परियोजना : 156 किमी यह परियोजना भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बनने से इंदौर-मुंबई का सीधा रास्ता वाया धार हो जाएगा।
फायदा : इस हिस्से के बनने से औद्
योगिक क्षेत्र पीथमपुर का समुद्री बिजनेस आसान हो जाएगा। अभी काफी घूमकर पोर्ट तक जाना होता है।
वस्तुस्थिति : इस मार्ग के लिए भूमि
अधिग्रहण का काम बड़े हिस्से में पूरा कर लिया गया है। कुछ हिस्से का काम भी शुरू हो गया। पहाड़ी क्षेत्र का सर्वे कार्य हो रहा है। 2013 में पूर्ण होना था। अब 2017 के बाद लक्ष्य तय किया जाएगा।
अजमेर-रतलाम-खंडवा-सिकंदराबाद
परियोजना : पश्चिम मप्र को दक्षिण व उत्तर से जोडऩे के लिए इस रेल मार्ग को बनाया जा रहा है। इसका बड़ा हिस्सा बना हुआ है। इसके गेज परिवर्तन के प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। 1993 में इसका काम शुरू किया गया। शुरुआती सर्वे के बाद काम बंद कर दिया गया। बाद में 2004 में पूर्णा-अकोला का गेज परिवर्तन शुरू किया। इसे 2008 में पूरा कर लिया गया। अब रतलाम-अकोला और अजमेर पर काम शुरू हुआ है। पहला हिस्सा 427 किमी का है। इसमें रतलाम से अकोला तक का काम होगा। पहले फेस में इंदौर-खंडवा का अमान परिवर्तन किया जा रहा है।
फायदा : इस रेल मार्ग के बनने के बाद उत्तर भारत से दक्षिण का हिस्सा सबसे छोटे रेल मार्ग से जुड़ जाएगा। दिल्ली तक जाने के लिए घुमाव कम होगा। वस्तुस्थिति : यह कार्य तीन हिस्सों में चल रहा है। पहला हिस्सा महू से सनावद है। यह कार्य टनल व घाट सेक्शन के कारण अटका हुआ है। दूसरा हिस्सा सनावद से खंडवा है। यह कार्य तेजी से हो रहा है।
क्योंकि एनटीपीसी इस मार्ग का उपयोग करेगी। इसके लिए समय सीमा में काम हो रहा है। इसका काम २०१९ तक पूरा होने की उम्मीद है। तीसरा हिस्सा महू-फतेहाबाद-इंदौर से रतलाम है। इसमें भी अलग-अलग खंडों में काम धीमी रफ्तार से चल रहा है।