28 चौराहों पर मिली खामी एसजीआइटीएस के प्रो. विवेक तिवारी के मुताबिक अध्ययन की रिपोर्ट नगर निगम और यातायात के अफसरों को संयुक्त रूप से प्रजेंटेशन के माध्यम से बताई जा चुकी है। 28 चौराहों में तकनीकी खामी है। यहां पर्याप्त साधन और संसाधन नहीं है। टीम को जहां भी इंजीनियरिंग में कमी मिली थी उसके समाधान के भी बिंदू रिपोर्ट में दिए हैं। रिपोर्ट में सुझाए गए बिंदुओं पर यदि बदलाव किया जाता है तो ट्रैफिक जाम और फुटपाथ से मुक्ति मिल सकेगी।
2004 से साधन संसाधन और मौजूदा हालत का आंकलन कर किया सर्वे टीम ने जो सर्वे रिपोर्ट तैयार की है उसे आइआरसी (इंडियन रॉड कांग्रेस) के मानकों का आदर्श ख्याल रखा गया है और इसके लिए 2004 के शहर से तुलना की गई है। इसमें ट्रैफिक, रोड यूजर, वाहन क्षमता और उसका प्रकार, फुटपाथ का विकास, ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी, शहर का मध्य हिस्सा, कमर्शियल सेंटर, एजुकेशन सेंटर, वर्किंग सेंटर और ट्रांसपोर्ट के लिए भविष्य की प्लानिंग जैसे बिंदू शामिल थे। 2004 के शहर से तुलना इसलिए भी की गई क्योंकि उस समय ही शहर में सिटी बस शुरू हुई थी।
शहर के इन 28 चौराहों में मिली गड़बड़ी – बड़ा गणपति,गोपुर,देवास नाका,बॉम्बे हॉस्पिटल,पाटनीपुरा,रसोमा,गीता भवन, मधुमिलन, मालवा मिल, यशवंत निवास रोड -आर एस भंडारी रोड, राजीव गांधी चौराहा, भंवरकुआं, आइटी पार्क, विजय नगर, लवकुश चौराहा, बापट चौराहा, नौलखा सहित अन्य चौराहे है,जहां पर इंजीनयरिंग खामी है।
सर्वे में यह बिंदू हुए उजागर -चौराहों पर ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहन सवारियों के लिए रुकते हैं, इस कारण जाम लगता है। – चौराहे से निकलते ही या तो फुटपाथ गायब हो जाता है या फुटपाथ पर दुकानें लगी और कब्जे हैं।
– चौराहों पर लगे बोर्ड मानकों के विपरीत लगाए हैं,इनकी ऊंचाई कम है। -दूसरी ओर फुटपाथ पर इस तरह के बोर्ड लगाना प्रतिबंधित होता है। -चौराहों पर पैदल चलने वालों के लिए आइआरसी के मानकों का पालन नहीं किया गया है।उनके गुजरने के लिए मार्ग को बड़ा किया गया है, जबकि छोटे या वैकल्पिक मार्ग होना चाहिए।
– फुटपाथ को आदर्श तरीके से बनाने के लिए इसमें रैंप होना जरूरी है, जबकि शहर में तो ऐसे फुटपाथ हैं जहां अवरोधक के लिए सीमेंटेड या अन्य धातु के पोल्स लगाए हैं और यह भी कब्जा युक्त है।