यह बात इसरो के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजमल जैन कोठारी ने पत्रिका से खास बातचीत में कही। डॉ. राजमल जैन चंद्रयान-1, चंद्रयान-2, मंगलयान मिशन में भी शामिल रहे हैं। डॉ. जैन बोले, रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट से जंगल, नदियों और जानवरों की गणना की जाती है। यह 200 से 500 किमी तक जाती हैं। वह बोले, कम्यूनिकेशन सैटेलाइट 35 हजार किलोमीटर तक जाती हैं। इसरो 1990 तक साल में 2 सैटेलाइट लांच करता था, लेकिन अब साल में 10 सैटेलाइट लांच कर रहा है। इसरो अब एक साथ 140 नैनो माइक्रो सैटेलाइंट भेज सकता है। अन्य देश भी अब इसरो के माध्यम से सैटेलाइट भेजते हैं।
आदित्य मिशन की चल रही तैयारी
इसरो इन दिनों आदित्य मिशन की तैयारी में जुटा है, जिसका डिजाइन मैंने तैयार किया है। डॉ. अब्दुल कलाम को अपना मार्गदर्शक मानता हूं, उन्होंने मेरी बहुत मदद की। मैंने सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर बनाकर सूर्य में लोहे और निकल की खोज की थी. तब मेरा नाम यूएस में अवार्ड के लिए शामिल नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने मुझे हिम्मत दी और अवार्ड के लिए मेरा नाम भेजा।
पहला इनाम मिला था 50 रुपए
डॉ. जैन ने बताया कि जब मैं छठी में आया तो स्कूल में साइंस एग्जीबिशन के लिए स्टूडेंट्स को प्रोजेक्ट दिए गए। कलेक्टर उद्घाटन करने आने वाले थे। मुझे प्रोजेक्ट मिला था कि जब कलेक्टर रिबन काटे तो माला ऑटोमैटिक उनके गले में गिरनी चाहिए। मैं परेशान हो गया कि ऐसा कैसे होगा? दो से तीन महीने का समय था। मैंने कई किताबें लाइब्रेरी में पढ़ी। प्रिंसिपल के रूम से मैंने इलेक्ट्रिक घंटी निकाल ली। उसमें देखा कि अंदर चुंबक होता है। वहीं से आइडिया आया। मैंने दो क्लिप बनाई। उसमें माला फंसा दी। मैंने डोरमेट के नीचे बटन रखा। जब कलेक्टर ने रिबन काटा तो माला उनके गले में गिरी। यह मेरा पहला प्रयोग था। इसके लिए मुझे कलेक्टर ने इनाम स्वरूप 50 रुपए दिए थे।