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लॉकडाउन के बीच 36 फीसदी तक बढ़ी पुरुषों की घरेलू प्रताड़ना दर

पूरी तरह एक पक्षीय व लैंगिक दुर्भावना से ग्रस्त घरेलू हिंसा कानून में न्यायिक व्यवस्था सिर्फ ये मानकर चलती है। ह ऐसा महिलाएं नहीं कर सकतीं। बल्कि हकीकत में ऐसा नहीं है।

इंदौरMay 27, 2020 / 08:41 pm

Faiz

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लॉकडाउन के बीच 36 फीसदी तक बढ़ी पुरुषों की घरेलू प्रताड़ना दर

इंदौर/ महिला सशक्तिकरण के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए घरेलू हिंसा कानून 2005 का अब महिलाओं द्वारा दहेज प्रताड़ना व धारा 498 ए की तर्ज पर धड़ल्ले से दुरुपयोग किया जाने लगा है। पूरी तरह एक पक्षीय व लैंगिक दुर्भावना से ग्रस्त घरेलू हिंसा कानून में न्यायिक व्यवस्था सिर्फ ये मानकर चलती है कि, घरेलू हिंसा सिर्फ पुरुषों द्वारा ही की जाती है। ऐसा महिलाएं नहीं कर सकतीं। बल्कि हकीकत में ऐसा नहीं है।

पुरुषों के अधिकारों के लिए कार्यरत इंदौर की संस्था ‘पौरुष’ और राष्ट्रीय पुरुष आयोग समन्वय समिति दिल्ली के अलावा सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन द्वारा लॉकडाउन के दिनों में किये गए एक टेलीफोनिक सर्वे और उपरोक्त संस्थाओं की पुरुष हेल्पलाइन पर मिली शिकायतों के आधार पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। सामने आया है कि लॉकडाउन के दिनों में पत्नियों द्वारा अपने पतियों को प्रताणित करने के मामलों में 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

 

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इंदौर की पौरुष संस्था के अध्यक्ष अशोक दशोरा के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते लगभग सभी पुरुष या तो अपने काम काज छोड़कर ङरों पर बैठे हैं या फिर ‘वर्क फ्रॉम होम’ के तहत घरों में रहकर ही काम कर रहे हैं। लेकिन, ये व्यवस्था पुरुषों के लिए बड़ी समस्या का कारण बनकर रह गई है। प्राप्त शिकायतों के आधार पर कई पुरुष पत्नियों द्वारा की जाने वाली छीटा कशी से कुंठाग्रस्त होकर अवसाद में रहने लगे हैं।

वहीं, संस्थाओं द्वारा किये गए सर्वे में ये भी सामने आया कि, अधिकतर पतियों के सामने बड़ी समस्या ये है कि, वो लोकलाज के कारण अपनी पत्नी की शिकायत नहीं कर पाते और अगर इनमें से कोई हिम्मत करके इस संबंध में पुलिस में इसकी शिकायत कर भी देता है, तो अकसर पुलिस द्वारा उन्हें ही धमकाया जाता है। दशोरा के मुताबिक, इंदौर की पौरुष संस्था के साथ दिल्ली की दो अन्य संस्थाओं द्वारा पुरुषों द्वारा किये गए टेलीफोनिक सर्वे में सामने आया कि, लॉकडाउन की अवधि में इन शिकायतों में 36 से 38 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है।

 

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इन आंकड़ों से समझ आएंगे हालात

संस्था पौरुष द्वार इकत्रित किये गए आंकड़ों की मानें तो संश्था की ही हेल्प लाइन पर 24 मार्च से अप्रेल 2019 तक कुल 31,617 कॉल्स उन्हें प्राप्त हुए थे। जो इस साल लॉकडाउन की अवधि में 43,000 हजार हो गए हैं। मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहां बीते साल कुल 2365 शिकायतें आईं थी, जो लॉकडाउ की अवधि में 38फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 3263 हो गए हैं। इंदौर में ही बीते साल इस अवधि में कुल 112 फोनकॉल्स हासिल हुए थे, लेकिन लॉक़ाउन की अवधि में ये 37 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ अब तक 153 हो चुके हैं।

 

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प्रताड़ना का शिकार और तरीके

-मौखिक प्रताड़ना

पत्नी द्वारा पति और उसके परिजन को ताने देना, अभद्र व्यवहार, घरेलू कार्य से इंकार आदि प्रताड़ना के तरीके हैं।

-शारिरिक प्रताड़ना

बर्तन, घरेलू सामान, झाड़ू, लात घूंसे से हमला करना, बाल नोचना, दातों से कांटना आदि चीजें शामिल हैं।

-भावनात्मक प्रताड़ना

पति के सामने बच्चों को पीटना या बुजुर्ग मां बाप से बत्तमीजी यहां तक की गाली गलौच करना आदि।

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